क्या रामलीला मैदान में लगे नारों के पीछे कांग्रेस सांसद का सही तर्क है?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस सांसद ने नारों की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं पर डाली।
- रैली में राहुल गांधी का स्पष्ट नारा था।
- भारत में आंदोलन की ज़रूरत, लेकिन हिंसा की नहीं।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की रैली में पीएम मोदी के खिलाफ अमर्यादित भाषा का उपयोग और नारों पर मचे बवाल के बीच कांग्रेस के नेता सफाई देते नजर आए हैं।
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा कि ये पार्टी के नारे नहीं हैं। जिन कार्यकर्ताओं को समझदारी नहीं है, वे इस तरह के नारे लगाते हैं। हमारा नारा तो स्पष्ट है, जो राहुल गांधी ने दिया है। रैली में भी इसी नारे का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह कांग्रेस का नारा है। यह शायद कुछ गुमराह कार्यकर्ताओं का काम है जो ठीक से बात समझते नहीं हैं। पार्टी का असली नारा बहुत सीधा है।
कांग्रेस की रैली को लेकर तारिक अनवर ने कहा कि जब हर जगह से मायूसी हाथ लगती है, तो जनता की अदालत एकमात्र विकल्प होती है। वोट चोरी का सिलसिला लगातार चल रहा है, जिससे लोकतंत्र को खतरा है। बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता अलग-अलग जगहों से आ रहे हैं और आम लोग भी जुड़ रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण घटना होगी, जो पूरे देश में यह संदेश देगी कि कैसे केंद्र की सरकार धोखे से बनाई गई।
क्या भारत में नेपाल जैसी जेनजी क्रांति हो सकती है? इस सवाल पर तारिक अनवर ने कहा कि अभी तो नहीं। हालांकि युवाओं में बेरोजगारी के कारण बहुत बेचैनी है, लेकिन भारत एक बड़ा देश है जिसमें अलग-अलग राज्य, संस्कृतियां, परंपराएं और भाषाएं हैं। आंदोलन होना चाहिए, लेकिन हिंसा की कोई जरूरत नहीं है।
कोलकाता में लियोनल मेसी के कार्यक्रम में सॉल्ट लेक स्टेडियम में हुई अफरा-तफरी को कांग्रेस सांसद ने दुखद घटना बताया। उन्होंने कहा कि यदि कमी है तो इसकी जांच होनी चाहिए कि क्यों कमी रह गई। प्रदेश सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह की घटना भविष्य में नहीं होनी चाहिए।