क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोकोलोडी नेचर रिजर्व का दौरा किया और बोत्सवाना ने भारत को चीते सौंपे?

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क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोकोलोडी नेचर रिजर्व का दौरा किया और बोत्सवाना ने भारत को चीते सौंपे?

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बोत्सवाना के मोकोलोडी नेचर रिजर्व का दौरा किया, जहाँ उन्हें 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत भारत को 8 चीते सौंपे गए। यह कार्यक्रम भारत और बोत्सवाना के बीच वन्यजीव संरक्षण की साझेदारी को और मजबूत करेगा। जानें इस ऐतिहासिक यात्रा के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत और बोत्सवाना के बीच वन्यजीव संरक्षण सहयोग की नई शुरूआत।
  • प्रोजेक्ट चीता के तहत भारत को 8 चीते सौंपे गए।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ऐतिहासिक यात्रा।
  • भारत और बोत्सवाना के राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ।
  • भारत की युवा और प्रतिभाशाली जनसंख्या का महत्व।

गैबोरोन, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बोत्सवाना ने 'प्रोजेक्ट चीता' के अगले चरण के अंतर्गत औपचारिक रूप से भारत को आठ चीते सौंपे हैं। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको के साथ गैबोरोन में स्थित मोकोलोडी नेचर रिजर्व का दौरा किया। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको ने प्रोजेक्ट चीता के अगले चरण के तहत भारत को उपहार स्वरूप चीतों की सौंपने की प्रक्रिया का औपचारिक उद्घाटन किया। इस दौरान, वे बोत्सवाना के घांजी क्षेत्र से पकड़े गए चीतों को क्वारंटाइन सेंटर में छोड़े जाने की साक्षी बनीं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह बोत्सवाना की पहली राजकीय यात्रा है। राष्ट्रपति के आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट पर किए गए एक पोस्ट में कहा गया है, "भारत-बोत्सवाना वन्यजीव संरक्षण साझेदारी में एक नया अध्याय।" मोकोलोडी नेचर रिजर्व में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको ने भारत और बोत्सवाना के विशेषज्ञों द्वारा घांजी क्षेत्र से पकड़े गए चीतों को क्वारंटाइन सेंटर में छोड़े जाने की प्रक्रिया में भाग लिया। यह कार्यक्रम 'प्रोजेक्ट चीता' के अगले चरण के तहत भारत को दिए गए चीतों का प्रतीक है।

इसके बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गैबोरोन में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया है कि बोत्सवाना में १०,००० भारतीय नागरिक व्यापार और उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। मैं आप सभी को भारत के गौरवशाली राजदूत होने पर बधाई देती हूं।"

उन्होंने कहा कि यह क्षण ऐतिहासिक है, क्योंकि भारत और बोत्सवाना २०२६ में अपने राजनयिक संबंधों की ६०वीं वर्षगांठ मनाएंगे। भारत और बोत्सवाना डायमंड क्षेत्र में साझेदार हैं और हमारा सहयोग तकनीकी, रक्षा और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे नए क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है। हमारी युवा और प्रतिभाशाली जनसंख्या, मजबूत अर्थव्यवस्था और नवाचार की भावना हमें २०४७ तक एक 'विकसित राष्ट्र' बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रही है। 'डिजिटल इंडिया', 'मेक इन इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया' और 'स्वच्छ भारत' जैसी पहलों के माध्यम से देश नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है।

Point of View

मैं यह कहता हूँ कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह यात्रा न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और बोत्सवाना के बीच के राजनयिक संबंधों को भी एक नई दिशा देगी। यह सहयोग तकनीकी और विकास के नए क्षेत्रों में भी बढ़ रहा है।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत को चीतों की सौंपने का क्या महत्व है?
भारत के लिए चीतों का पुनर्स्थापन वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जैव विविधता को बढ़ाने में मदद करेगा।
क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह दौरा पहला है?
हाँ, यह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की बोत्सवाना की पहली राजकीय यात्रा है।
बोत्सवाना में भारतीय समुदाय का क्या योगदान है?
बोत्सवाना में लगभग १०,००० भारतीय नागरिक विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जो आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हैं।