क्या आरबीआई की सबसे पहली प्राथमिकता सिस्टम में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को सुनिश्चित करना है?
सारांश
Key Takeaways
- आरबीआई की प्राथमिकता फाइनेंशियल स्टेबिलिटी है।
- उभरते जोखिमों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
- ग्राहकों की सुरक्षा के लिए कंडक्ट से जुड़े उपाय लागू किए जा रहे हैं।
- भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व मजबूत है।
- अमेरिका के साथ ट्रेड डील से करंट अकाउंट बैलेंस को बेहतर करने की संभावना है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय बैंक आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को कहा कि आरबीआई की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता सिस्टम में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को सुनिश्चित करना है। केंद्रीय बैंक रेगुलेटरी आवश्यकताओं को सरल बनाने और सुरक्षा के आवश्यक उपायों को लागू करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में वीकेआरवी राव मेमोरियल लेक्चर में आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक सतर्क बना हुआ है और उभरते जोखिमों और बदलती परिस्थितियों के प्रति जागरूक है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हम समझते हैं कि शॉर्ट टर्म ग्रोथ को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी की कीमत पर हासिल किया जा सकता है लेकिन लंबे समय में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के बहुत बड़े परिणाम हो सकते हैं। उनके नुकसान शॉर्ट टर्म में प्राप्त लाभों से भी अधिक हो सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अभी भी आधार बनी हुई है, लेकिन कुछ अन्य लक्ष्य भी मौजूद हैं जैसे लिक्विडिटी और कैपिलट की आवश्यकताओं के पहलू ताकि सभी स्टेकहोल्डर्स के हित में फाइनेंशियल ऑपरेशन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, जिनका फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर प्रभाव पड़ सकता है और नहीं भी।
उन्होंने कहा, "दूसरा, ग्राहकों की सुरक्षा के लिए कंडक्ट से जुड़े उपाय, कानून लागू करने में मदद, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर हमारा ध्यान गया है।"
उन्होंने रुपये में हालिया गिरावट का अमेरिकी डॉलर की मजबूत मांग को बताया।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हम किसी भी स्तर को लक्ष्य नहीं रखते। रुपए में गिरावट मांग की वजह से देखी जा रही है। यह एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है। डॉलर को लेकर मांग बढ़ रही है और यदि यह मांग ऐसे ही बढ़ती रही तो रुपए में गिरावट आएगी। इसी तरह रुपए की मांग बढ़ेगी तो डॉलर में गिरावट आएगी।"
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि भारत का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व मजबूत बना हुआ है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "केंद्रीय बैंक के पास फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का बफर बेहतरीन बना हुआ है और एक्सटर्नल सेक्टर को लेकर चिंता की कोई वजह नहीं है।"
उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि भारत अमेरिका के साथ एक बेहतरीन ट्रेड डील करेगा, जिसके साथ देश के करंट अकाउंट बैलेंस और रुपए पर दबाव कम होगा।