क्या सपा की सनातन विरोधी राजनीति के पीछे तुष्टिकरण की सियासत है?

सारांश
Key Takeaways
- रोहन गुप्ता का बयान सनातन धर्म के प्रति सपा के रवैये पर है।
- sपा को तुष्टिकरण की राजनीति से बाहर निकलना होगा।
- सनातन धर्म भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
- सपा को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
- जनता सपा के सनातन विरोधी बयानों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता रोहन गुप्ता ने समाजवादी पार्टी (सपा) और इसके प्रमुख अखिलेश यादव पर सनातन धर्म के खिलाफ बयान देने का आरोप लगाया है। उन्होंने सपा को सनातन विरोधी बताते हुए चेतावनी दी कि अगर अखिलेश यादव ने ऐसे बयानों को बंद नहीं किया, तो आने वाले विधानसभा चुनावों में लोग उन्हें पूरी तरह से खारिज कर देंगे।
राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में रोहन गुप्ता ने कहा, “सपा का सनातन विरोधी रुख कोई नई बात नहीं है। कुंभ मेले सहित कई अवसरों पर सपा ने सनातन धर्म का अपमान किया है। इसके पीछे उनकी तुष्टिकरण की राजनीति है, जो उनकी राजनीतिक पहचान बन चुकी है। अखिलेश यादव को अच्छे से पता है कि वे क्या बोल रहे हैं, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति उनकी मजबूरी है, जिसके बिना उनकी दुकान नहीं चल सकती।”
रोहन गुप्ता ने आगे कहा कि अखिलेश यादव का सनातन धर्म के प्रति विरोध समझ से परे है। उन्होंने सपा प्रमुख को सलाह दी, “अखिलेश यादव को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। सनातन धर्म के खिलाफ बोलकर वे देश की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में तुष्टिकरण की राजनीति भले ही उनकी दुकान चला ले, लेकिन जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। सपा को सनातन विरोधी बयानों से परहेज करना चाहिए।”
उन्होंने सपा की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सनातन धर्म भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। इसे अपमानित करने की कोशिश न केवल जनता की भावनाओं के खिलाफ है, बल्कि यह देश की एकता और अखंडता को भी कमजोर करता है। सपा को अपनी राजनीति को वोट बैंक तक सीमित रखने के बजाय देशहित को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सनातन धर्म का विशेष महत्व है, इसलिए जनता ऐसी पार्टियों को सबक सिखाने में पीछे नहीं हटेगी, जो उनकी आस्था का अपमान करती हैं। यदि सपा अपनी नीति नहीं बदलती, तो आगामी चुनावों में जनता का गुस्सा उनके लिए भारी पड़ सकता है।