क्या रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्‍यास लेना लोगों के लिए प्रेरणा है?

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क्या रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्‍यास लेना लोगों के लिए प्रेरणा है?

सारांश

रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्यास लेना एक महत्वपूर्ण घटना है। क्या यह उनके निजी निर्णय से ज्यादा कुछ है? उनके बलिदान ने राजनीतिक गलियारे में एक नई बहस छेड़ दी है। जानें इस फैसले के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • रोहिणी आचार्य का राजनीति छोड़ना एक महत्वपूर्ण निर्णय है।
  • उनका त्याग अन्य नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
  • बिहार चुनाव के परिणाम ने कई नेताओं को निराश किया है।
  • राजनीतिक दलों में आंतरिक संघर्ष स्पष्ट हो रहा है।

नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजद सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का ऐलान किया है। इस घोषणा के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि रोहिणी का निर्णय उनके निजी विचार है। हम इस पर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन उनका त्याग और जिस उम्र में उन्होंने अपने पिता के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया है, वह देश के लिए एक उदाहरण है। मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूं।

उन्होंने आगे कहा कि बिहार चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों ने कई नेताओं को निराश किया है। हमने बहुत मेहनत की थी, लेकिन परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं आए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन रोहिणी आचार्य का त्याग मुझे प्रभावित करता है। मैं उनके समर्पण का कायल हूं।

इसी बीच, जेडीयू के नवनिर्वाचित विधायक श्याम रजक ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ये लोग केवल दिखावा करते हैं। अगली बार सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी।

वहीं भाजपा नेता अश्विनी कुमार चौबे ने रोहिणी के फैसले की वजह पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इसकी सच्चाई वही लोग बता पाएंगे। राजद और कांग्रेस दोनों में आग लग गई है।

इससे पहले, रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था। मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।"

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को 25 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस महज 6 सीटों पर सिमट गई है। भाजपा इस बार बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसने 89 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा-जदयू के गठबंधन वाले एनडीए को बंपर बहुमत मिला है।

Point of View

मैं यह कह सकता हूं कि रोहिणी आचार्य का निर्णय न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की संभावनाएं भी दर्शाता है। यह एक ऐसा क्षण है, जहां नेतृत्व और बलिदान की आवश्यकता है। हमें देखना होगा कि यह निर्णय किस तरह से बिहार की राजनीति को प्रभावित करेगा।
NationPress
15/11/2025

Frequently Asked Questions

रोहिणी आचार्य ने राजनीति क्यों छोड़ी?
रोहिणी आचार्य ने निजी कारणों से राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने का ऐलान किया है।
मनोज कुमार का इस पर क्या कहना है?
मनोज कुमार ने कहा कि यह रोहिणी का निजी निर्णय है और उनका त्याग देश के लिए एक उदाहरण है।
बिहार चुनाव के नतीजे कैसे रहे?
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को 25 सीटें मिली हैं, जबकि भाजपा ने 89 सीटों पर जीत हासिल की है।
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