क्या रोहित पवार को है आशंका, 'महाराष्ट्र में विशेष जन सुरक्षा विधेयक' का हो सकता है गलत इस्तेमाल?

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क्या रोहित पवार को है आशंका, 'महाराष्ट्र में विशेष जन सुरक्षा विधेयक' का हो सकता है गलत इस्तेमाल?

सारांश

रोहित पवार ने महाराष्ट्र में पारित विशेष जन सुरक्षा विधेयक पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि विधेयक में अस्पष्ट परिभाषाएं हैं, जो भविष्य में दुरुपयोग का कारण बन सकती हैं। जानिए इस विधेयक के पीछे की सच्चाई और इसकी संभावित खामियां।

Key Takeaways

  • महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य नक्सलवाद पर नियंत्रण है।
  • रोहित पवार ने विधेयक में खामियों को उजागर किया है।
  • विधेयक में अस्पष्ट परिभाषाएं दुरुपयोग का कारण बन सकती हैं।
  • सरकार का दावा है कि यह कानून देश विरोधी गतिविधियों पर कार्रवाई के लिए आवश्यक है।
  • एनसीपी (एसपी) जनता के बीच विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मुंबई, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता रोहित पवार ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक के पारित होने पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि इससे नक्सलवाद पर नियंत्रण पाया जाएगा, जिससे हम सहमत हैं। हम नक्सलवाद के अंत की कामना करते हैं, इसलिए हमने कल इस विधेयक का समर्थन किया। परंतु, इस विधेयक में कुछ खामियां थीं, जिनके लिए हमने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि विधानसभा में उन्होंने इसकी कमियों को उजागर किया और स्पष्टता की मांग की। उन्होंने कहा कि विधेयक में 'समूह' और 'व्यक्ति' की परिभाषा स्पष्ट नहीं है, जिससे भविष्य में गलत इस्तेमाल हो सकता है। यदि कोई अन्य सरकार सत्ता में आती है, तो वह इस कानून का दुरुपयोग कर सकती है।

उनकी पार्टी विधेयक की कमियों पर विस्तृत चर्चा करेगी, जब यह विधान परिषद में आएगा। ऐसे कानूनों का विरोध करना चाहिए जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास करते हैं। एनसीपी (एसपी) इस मुद्दे पर जनता के बीच अपनी बात रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

महाराष्ट्र विधानसभा ने 10 जुलाई को महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक, जिसे जन सुरक्षा कानून के नाम से भी जाना जाता है, को ध्वनिमत से पारित किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक का उद्देश्य उग्रवाद, विशेष रूप से शहरी नक्सलवाद को नियंत्रित करना है। सरकार का दावा है कि यह कानून देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आवश्यक है। विधेयक में गैर-जमानती अपराधों की श्रेणी और संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने का प्रावधान शामिल है।

विधेयक का विरोध करते हुए एनसीपी (एसपी) नेता ने कहा, "पूर्व में परमवीर सिंह मामले में एनसीपी नेता अनिल देशमुख के खिलाफ गलत कार्रवाई की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। यह राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई कार्रवाई थी।"

शिंदे गुट के दो नेता श्रीकांत शिंदे और संजय शिरसाट को आयकर विभाग की तरफ से नोटिस मिलने पर उन्होंने कहा कि भाजपा जानबूझकर उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर दबाव बना रही है, ताकि आगामी नगरपालिका और महानगरपालिका चुनावों में उनके साथ बेहतर समझौता हो सके। भाजपा के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। लेकिन, आयकर विभाग या अन्य एजेंसियां केवल शिंदे को ही निशाना क्यों बना रही हैं? भाजपा और उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे कई सवाल उठते हैं।

Point of View

लेकिन इसकी परिभाषाओं में अस्पष्टता चिंता का विषय है। यह आवश्यक है कि ऐसे कानूनों को सावधानी से पारित किया जाए, ताकि उनका दुरुपयोग न हो।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य नक्सलवाद और उग्रवाद पर नियंत्रण प्राप्त करना है।
रोहित पवार ने विधेयक के विरोध में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि विधेयक में परिभाषाएं स्पष्ट नहीं हैं, जिससे भविष्य में इसका दुरुपयोग हो सकता है।
क्या यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध का कारण बन सकता है?
रोहित पवार का मानना है कि भविष्य में किसी अन्य सरकार द्वारा इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है।