क्या साल में एक बार खुलता है स्वर्ग का द्वार? भगवान रंगनाथ ने वैकुंठ द्वार पर भक्तों को दिए दर्शन

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क्या साल में एक बार खुलता है स्वर्ग का द्वार? भगवान रंगनाथ ने वैकुंठ द्वार पर भक्तों को दिए दर्शन

सारांश

क्या आप जानते हैं साल में एक बार खुलने वाले बैकुंठ द्वार से भगवान ने भक्तों को दर्शन दिए? जानें इस खास अवसर के बारे में और इस द्वार की महत्ता के पीछे की मान्यता।

Key Takeaways

  • बैकुंठ एकादशी पर बैकुंठ द्वार खोला जाता है।
  • भगवान रंगनाथ ने भक्तों को दर्शन दिए।
  • यह द्वार साल में एक बार खुलता है।
  • लाखों भक्त इस अवसर का लाभ उठाने आते हैं।
  • सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया है।

मथुरा, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर भारत के सबसे बड़े दक्षिण शैली के रंगनाथ मन्दिर में मंगलवार को बैकुंठ एकादशी के अवसर पर बैकुंठ द्वार खोला गया। यह द्वार वर्ष में एक बार खुलता है, और इस बार भगवान ने भक्तों को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया। मान्यता है कि इस द्वार से जो भक्त निकलता है उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

बैकुंठ उत्सव की शुरुआत भगवान रंगनाथ की मंगला आरती से हुई। इसके बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच अपने मन्दिर से पालकी में विराजमान होकर बैकुंठ द्वार पहुंचे। यहां भगवान की पालकी करीब आधा घंटे तक द्वार पर खड़ी रही।

जब भगवान रंगनाथ बैकुंठ द्वार पर पहुंचे, तो मंदिर के महंत गोवर्धन रंगाचार्य के नेतृत्व में सेवायत पुजारियों ने पाठ किया। आधा घंटे तक चले पाठ और अर्चना के बाद भगवान रंगनाथ, शठ कोप स्वामी, नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई। वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मन्दिर प्रांगण में भ्रमण कर पौंडानाथ मन्दिर में विराजमान हुई। यहां मन्दिर के भक्तों ने भगवान को भजन गाकर सुनाए।

बैकुंठ द्वार से निकलने की चाह में लाखों भक्त रात से ही मन्दिर परिसर में एकत्रित होने लगे। मन्दिर के पुजारी स्वामी राजू ने बताया कि 21 दिवसीय बैकुंठ उत्सव में 11वें दिन बैकुंठ एकादशी पर्व पर बैकुंठ द्वार खोला जाता है। यह एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है।

मन्दिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि अलवार आचार्य बैकुंठ उत्सव के दौरान अपनी रचनाएं भगवान को सुनाते हैं। बैकुंठ एकादशी के दिन दक्षिण के सभी वैष्णव मन्दिरों में बैकुंठ द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है। वृंदावन स्थित रंगनाथ मन्दिर में भी इस परंपरा का पालन किया जाता है। बैकुंठ द्वार को सजाने के लिए एक हजार किलो से अधिक विभिन्न प्रजातियों के फूल दिल्ली, वृंदावन और बैंगलुरू से मंगाए गए। इसके साथ ही बैकुंठ लोक में की गई लाइटिंग ने ऐसा अहसास कराया जैसे भगवान बैकुंठ धाम में विराजमान हों। बैकुंठ एकादशी के अवसर पर भगवान रंगनाथ के दर्शन कर भक्त आनंदित हो गए।

बैकुंठ एकादशी पर बैकुंठ द्वार खुलने की मान्यता यह है कि दक्षिण भारत के आलवार संतों ने भगवान नारायण से जीवात्मा के बैकुंठ जाने के रास्ते के बारे में पूछा। भगवान ने बैकुंठ एकादशी के दिन बैकुंठ द्वार से निकलने की लीला दिखाई। यह परंपरा आज भी श्री रंगनाथ मंदिर में मनाई जा रही है।

रंगनाथ मंदिर में खुले बैकुंठ द्वार से निकलने और भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। सुरक्षा व्यवस्था की कमान सीओ सदर संदीप सिंह, कोतवाली प्रभारी संजय पांडे और निरीक्षक क्राइम धर्मेंद्र कुमार ने संभाली।

बैकुंठ उत्सव में मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं को सर्दी से राहत देने के लिए बेहतर इंतजाम किए। रास्ते में मैट बिछाए गए और जगह-जगह अलाव रखवाए गए। देर शाम से ही पहुंचे भक्तों के लिए चाय, दूध और हलवा प्रसाद का प्रबंध किया गया। इस दौरान पुरोहित विजय मिश्र, गोविंद मिश्र, रघुनाथ स्वामी, राजू स्वामी, साधना कुलश्रेष्ठ, राजू सक्सेना, कमलेश राठौर, पंकज शर्मा, लखन लाल पाठक, जुगल किशोर, रविन्द्र विश्वास, अमित, अर्जुन आदि उपस्थित रहे।

Point of View

NationPress
30/12/2025

Frequently Asked Questions

बैकुंठ एकादशी क्या है?
बैकुंठ एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है।
बैकुंठ द्वार कब खोला जाता है?
बैकुंठ द्वार साल में एक बार बैकुंठ एकादशी पर खोला जाता है।
इस द्वार से निकलने का क्या महत्व है?
इस द्वार से निकलने पर भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।
क्या बैकुंठ उत्सव में शामिल होना जरूरी है?
यह उत्सव धार्मिक आस्था का प्रतीक है, और इसमें शामिल होना भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
मंदिर में सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं?
मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
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