क्या खालिदा जिया के दूसरे बेटे ने राजनीति को ठुकराकर बांग्लादेश क्रिकेट को पहचान दिलाई?
सारांश
Key Takeaways
- खालिदा जिया का परिवार बांग्लादेश क्रिकेट के विकास में महत्वपूर्ण रहा है।
- अराफात रहमान ने बांग्लादेश में क्रिकेट संरचना को सुदृढ़ किया।
- बांग्लादेश ने 2004 का अंडर-19 विश्व कप सफलतापूर्वक आयोजित किया।
- अराफात को बांग्लादेश क्रिकेट का शिल्पकार माना जाता है।
- उनके योगदान से बांग्लादेश क्रिकेट ने अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को ढाका के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 80 साल की थीं। खालिदा जिया के परिवार ने बांग्लादेश की राजनीति के साथ-साथ बांग्लादेश क्रिकेट के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
खालिदा जिया की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके बड़े बेटे, तारिक रहमान, स्वदेश लौट चुके हैं। माना जा रहा है कि बांग्लादेश में आम चुनावों के बाद वह अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। बांग्लादेश क्रिकेट के उत्थान में खालिदा जिया के दूसरे बेटे, अराफात रहमान 'कोको', का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अराफात ने बांग्लादेश में क्रिकेट संरचना को मजबूत करने और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अराफात रहमान कोको का जन्म 12 अगस्त 1969 को कुमिल्ला कैंटोनमेंट में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार से थे जहाँ करियर बनाना आसान था, लेकिन उन्होंने देश के युवाओं की पसंद क्रिकेट को मजबूत करने का संकल्प लिया।
उन्होंने डीओएचएस स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष के रूप में देश में क्रिकेट को बढ़ावा दिया। उनके मार्गदर्शन में क्लब ने 2002-03 में प्रीमियर डिविजन में स्थान बनाया। टीम को बनाने के लिए अराफात ने बांग्लादेश के पूर्व कप्तान अकरम खान को नियुक्त किया।
टीम को मजबूत करने के लिए उन्होंने श्रीलंका के स्थानीय क्रिकेटर प्रेमलाल फर्नांडो को कोच बनाया और पेशेवर सुविधाएँ प्रदान की। क्लब के लिए विशेष क्रिकेट पिच का निर्माण हुआ और ऑस्ट्रेलिया से गेंदबाजी मशीन मंगवाई गई। इन सुविधाओं का प्रभाव क्लब के प्रदर्शन पर पड़ा और अराफात के अध्यक्ष रहते दो बार प्रीमियर डिविजन का खिताब जीते। इस क्लब में केन्या के पूर्व कप्तान स्टीव टिकोलो भी खेले थे।
बांग्लादेश के पूर्व कप्तान तमिम इकबाल ने भी इसी क्लब से अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी।
2001 में बांग्लादेश में आम चुनाव हुए। खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। अराफात चाहते तो सरकार में कोई बड़ा पद ले सकते थे, लेकिन उन्होंने क्रिकेट के विकास की गति को तेज करने का संकल्प लिया और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के विकास परिषद के अध्यक्ष बने। इस दौरान उन्होंने मुशफिकुर रहमान, शाकिब अल हसन और तमिम इकबाल जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को सामने लाया।
उनके मार्गदर्शन में बांग्लादेश ने 2004 का अंडर-19 विश्व कप सफलतापूर्वक आयोजित किया, जिसे 4 लाख से अधिक लोगों ने देखा।
बोगुरा स्थित शहीद चंदू स्टेडियम के निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका रही। इसी स्टेडियम में बांग्लादेश ने पहली बार 2006 में श्रीलंका को हराया था। नेशनल स्टेडियम ढाका में हुए विवाद को सुलझाने और मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम के निर्माण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बांग्लादेश प्रीमियर लीग की शुरुआत 2012 में हुई थी, लेकिन टी20 क्रिकेट की नींव उन्होंने 2003 में ही रख दी थी।
2005 में अराफात बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड से अलग हो गए थे, लेकिन तब तक बांग्लादेश क्रिकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुका था।
24 जनवरी 2015 को हार्ट अटैक के कारण केवल 46 वर्ष की आयु में अराफात रहमान कोको का निधन मलेशिया में हो गया। अराफात रहमान को बांग्लादेश में क्रिकेट को शून्य से शिखर तक ले जाने वाले शिल्पकार के रूप में याद किया जाता है।