क्या संविधान और न्याय के आदर्शों को बनाए रखना बार के सदस्यों की जिम्मेदारी है?: सीजेआई सूर्यकांत

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क्या संविधान और न्याय के आदर्शों को बनाए रखना बार के सदस्यों की जिम्मेदारी है?: सीजेआई सूर्यकांत

सारांश

संविधान दिवस पर सीजेआई सूर्यकांत ने बार सदस्यों की जिम्मेदारियों पर जोर दिया। उन्होंने न्याय और संविधान के आदर्शों को बनाए रखने की आवश्यकता को बताया। कानून मंत्री ने संविधान के निर्माण और उसके महत्व पर प्रकाश डाला, जबकि एसजी तुषार मेहता ने संविधान के विकास यात्रा की जानकारी साझा की।

Key Takeaways

  • संविधान के आदर्शों को बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
  • सीजेआई ने बार सदस्यों की जिम्मेदारी पर जोर दिया।
  • कानून मंत्री ने संविधान के महत्व को रेखांकित किया।
  • संविधान ने भारत को सही दिशा दिखाई।
  • आर्टिस्ट अपूर्व ओम की कला ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया।

नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल थे।

सीजेआई सूर्यकांत ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि जब न्यायालय को संविधान का रक्षक माना जाता है, तो बार के सदस्यों की जिम्मेदारी होती है कि वे उस मशाल को उठाएं, जो हमें संवैधानिक निर्णय लेने में मदद करती है। बार के सदस्यों का कार्य है कि वे निरंतर न्याय और संविधान के आदर्शों को बनाए रखें।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और बार के सदस्यों ने हमेशा संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बार को संविधान के संरक्षक और न्याय के मार्गदर्शक के रूप में पहचाना। उन्होंने बताया कि संविधान दिवस का यह अवसर उनके लिए खास है क्योंकि यह उनका पहला सार्वजनिक भाषण है, और इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन भारत के लोगों ने अपने लिए संविधान का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज अपनाया।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी अपने संबोधन में संविधान निर्माण की प्रक्रिया और इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इसे बड़ी सावधानी और समझदारी से तैयार किया। मेघवाल ने कहा कि संविधान ने आपातकाल के कठिन समय में भी देश को सही दिशा दिखाई और भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत एक विकसित देश बन जाए।

कानून मंत्री ने इंडस्ट्री 4.0 और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान हमें इन परिवर्तनों का सामना करने की शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि संविधान केवल राजनीतिक क्षेत्र में बराबरी नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी समानता और न्याय सुनिश्चित करता है।

वहीं, एसजी तुषार मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की यात्रा 1946 में शुरू हुई और इसे केवल कुछ व्यक्तियों ने नहीं, बल्कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान सभा के सभी सदस्यों ने 165 दिनों तक बहस और विचार-विमर्श के बाद तैयार किया। उन्होंने बताया कि संविधान सभा में पूरे भारत का प्रतिनिधित्व था और प्रत्येक क्षेत्र, धर्म, भाषा और संस्कृति की आवाज को ध्यान में रखा गया।

तुषार मेहता ने यह भी बताया कि भारत ने अन्य देशों के संविधान की सर्वोत्तम बातें अपनाई, लेकिन उन्हें भारतीय परिस्थितियों और संस्कृति के अनुसार ढाला। उन्होंने कहा कि संविधान के तीनों अंग (कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका) स्वतंत्र हैं, लेकिन आंतरिक संतुलन बनाए रखा गया है। यदि कोई अंग संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करता है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है। उन्होंने आम नागरिक की भूमिका को भी याद किया और कहा कि आम लोग ही इस संविधान को जीवित और प्रभावी बनाए रखते हैं।

संविधान दिवस के अवसर पर दिव्यांग आर्टिस्ट अपूर्व ओम ने सीजेआई सूर्यकांत को अपनी स्केच-पेंटिंग भेंट की। अपूर्व के पिता सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। उन्होंने बताया कि अपूर्व की पेंटिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित हो चुकी है, जिसमें इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) और यूनेस्को हेडक्वार्टर पेरिस शामिल हैं।

Point of View

NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

संविधान दिवस का महत्व क्या है?
संविधान दिवस का महत्व इसलिए है कि यह हमें अपने संविधान के प्रति जागरूक करता है, जो हमारे अधिकारों और कर्तव्यों का स्त्रोत है।
क्या बार सदस्यों की जिम्मेदारी केवल न्यायालय में है?
नहीं, बार सदस्यों की जिम्मेदारी समाज में न्याय और संविधान के आदर्शों को बनाए रखना भी है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिका क्या थी?
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा की अध्यक्षता की और संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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