क्या पंजाब सरकार के खिलाफ बेरोजगार सांझा मोर्चा का प्रदर्शन है एक नई शुरुआत?

सारांश
Key Takeaways
- बेरोजगार युवाओं की आवाज़ को उठाना महत्वपूर्ण है।
- शांतिपूर्ण प्रदर्शन से समाज के मुद्दों को उठाना संभव है।
- पंजाब सरकार को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराना आवश्यक है।
संगरूर, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के संगरूर स्थित निवास के बाहर बेरोजगार सांझा मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर रविवार को धरना प्रदर्शन किया। इस धरने में विभिन्न बेरोजगारों ने भाग लिया और मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पंजाब सरकार द्वारा साढ़े तीन साल में बीएड की कोई भर्ती नहीं निकाली गई है। इस दौरान भारी पुलिस बल मौजूद रहा।
विरोध प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
मीडिया से बात करते हुए विरोध कर रहे बेरोजगार युवाओं ने कहा कि एक तरफ सरकार रोजगार के बड़े-बड़े वादे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ तीन साल से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन सरकार ने अब तक बीएड की कोई सीधी भर्ती नहीं निकाली है।
प्रदर्शन कर रहे बेरोजगारों ने कहा कि मुख्यमंत्री मान मंचों से यह कहते हैं कि जिनकी उम्र संबंधी समस्या है, उन्हें और समय दिया जाएगा, लेकिन हमारा सवाल यह है कि अब तक भर्तियां क्यों नहीं खोली गईं।
बेरोजगारों ने मान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार उनकी उम्मीदों के साथ हमेशा झूठे वादे करती है, लेकिन अब तक उन्हें उनका हक नहीं मिला है, जिसके चलते रविवार को वे संगरूर में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
बेरोजगार हरप्रीत सिंह, सिम्मी और सुखविंदर सिंह ने कहा कि बेरोजगार सांझा मोर्चा का उद्देश्य उग्र प्रदर्शन करना नहीं है। वे शांतिपूर्ण तरीके से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आज पंजाब के विभिन्न शहरों से बेरोजगार युवा इस संयुक्त मोर्चे में भाग लेने आए हैं और उन्हें रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, जबकि उनके पास केवल मांग पत्र है।
पंजाब सरकार कहती थी कि वे मांगों को पूरा करेंगी। लेकिन, भारी पुलिस बल तैनात करके उनके साथ अन्याय किया जा रहा है।