क्या लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा सदन की कार्यवाही को बाधित कर देगा?

सारांश
Key Takeaways
- संसद में हंगामा राजनीतिक तनाव को दर्शाता है।
- विपक्ष ने मतदाता सूची के रिव्यू पर चर्चा की मांग की।
- राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित की गई।
- नियाम २६७ के तहत चर्चा का प्रावधान है।
- विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी कर अपनी मांगें रखीं।
नई दिल्ली, ११ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद में सोमवार को भी ज़बरदस्त हंगामा देखने को मिला। इस हंगामे के कारण राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों की कार्यवाही प्रभावित हुई। विपक्ष ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी शुरू की। कई विपक्षी सांसदों का कहना है कि वे बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू सहित विभिन्न मुद्दों पर तात्कालिक चर्चा चाहते हैं।
राज्यसभा में विपक्ष ने सभी अन्य संसदीय कार्यों को रोकने के लिए पहले इन मुद्दों पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। सदन में बढ़ते हंगामे को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। लोकसभा में भी यही स्थिति रही। कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही समय बाद विपक्षी सांसद वेल में आ गए और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने बार-बार विपक्षी सांसदों से अनुरोध किया कि वे अपनी सीटों पर लौटें। जब वे अपनी जगह पर नहीं लौटे, तो सदन की कार्यवाही दोपहर २ बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में भी यही स्थिति बनी रही। उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि उन्हें सोमवार को चर्चा के लिए नियम २६७ के तहत २९ नोटिस मिले हैं।
नियम २६७ के तहत सदन की सभी कार्यवाही को स्थगित कर संबंधित विषय पर चर्चा होती है। उपसभापति ने कहा कि उन्हें विभिन्न विषयों पर चर्चा के नोटिस प्राप्त हुए हैं, लेकिन ११ विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए नोटिस नियमों का पालन नहीं करते। कई नोटिस ऐसे मामलों से संबंधित हैं, जिनकी सुनवाई अदालत में चल रही है। उपसभापति ने सभी नोटिसों को अस्वीकृत कर दिया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सांसद विरोध जताने के लिए सदन में बैच पहनकर भी आए थे, जिस पर उपसभापति ने आपत्ति जताई। इसके बावजूद भी विपक्ष का विरोध जारी रहा और राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर २ बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।