क्या संसद सत्र में आतंकवाद, विदेश नीति और बिहार के विकास पर चर्चा होनी चाहिए? : मनोज झा

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क्या संसद सत्र में आतंकवाद, विदेश नीति और बिहार के विकास पर चर्चा होनी चाहिए? : मनोज झा

सारांश

मनोज झा ने संसद के मानसून सत्र में आतंकवाद, विदेश नीति और बिहार के विकास पर चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सत्र केवल आरोप-प्रत्यारोप का मंच नहीं होना चाहिए। यह जनता की समस्याओं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर गंभीर चर्चा का अवसर है।

Key Takeaways

  • संसद का सत्र केवल राजनीतिक खेल का मैदान नहीं होना चाहिए।
  • आतंकवाद और विदेश नीति पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
  • बिहार के विकास के लिए ठोस योजना होनी चाहिए।
  • भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • सामाजिक मुद्दों पर विमर्श आवश्यक है।

नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद के आगामी मानसून सत्र को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरडेजी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बेबाक राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह सत्र केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मंच नहीं होना चाहिए। यह जनता की पीड़ा, देश की गरिमा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को लेकर गंभीर और ईमानदार चर्चा का अवसर होना चाहिए।

समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में रविवार को मनोज झा ने कहा कि संसद का उद्देश्य केवल सत्ता और विपक्ष के टकराव तक सीमित नहीं है, यह वह स्थान है जहां देश की जनता की पीड़ा, उनकी समस्याओं और राष्ट्रीय हित से जुड़े सवालों पर विमर्श होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की पीड़ा को हम नहीं भूल सकते और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कूटनीतिक स्थिति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह केवल किसी पार्टी विशेष पर हमला करने का मामला नहीं है, यह देश की प्रतिष्ठा और सुरक्षा का विषय है। इस पर खुलकर, निष्पक्ष और गंभीर चर्चा होनी चाहिए।

जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के उस बयान पर सवाल किया गया जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को लेकर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया दी थी, तो मनोज झा ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने सही कहा कि भारत की एक विशिष्ट पहचान रही है। आज हम मजबूत हैं, लेकिन आजादी के तुरंत बाद भी हमने औपनिवेशिक शासन से आजाद हुए देशों की आवाज का नेतृत्व किया था। भारत कभी भी किसी वैश्विक शक्ति के सामने नहीं झुका। आज भी अगर अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति भारत को लेकर अनर्गल बयान दें, तो संसद को एक स्वर में जवाब देना चाहिए, 'माइंड योर बिजनेस'। हमारे जवाब सूत्रों के हवाले से नहीं, बल्कि संसद के मंच से सीधे और साफ तौर पर आने चाहिए।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरएसएस-सीपीएम वाले बयान पर मनोज झा ने कहा कि इस बयान को संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं, व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए। अगर हम एक सांस्कृतिक संगठन के तौर पर आरएसएस की बात करें, तो यह जरूरी है कि उसकी प्राथमिकताएं स्पष्ट हों। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कोई संगठन देश को ऐसी दिशा में ले जाना चाहता है जो भारत की मूल आत्मा और मूल्यों से मेल नहीं खाती, तो वह चिंताजनक है।

मनोज झा ने बिहार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजरिए पर सवाल उठाते हुए कहा कि जैसा प्रधानमंत्री का नजरिया गुजरात के लिए है, वैसा ही बिहार के लिए क्यों नहीं है? क्या बिहार केवल बी-ग्रेड ट्रेनों का हकदार है, ताकि यहां से मजदूर गुजरात जाकर काम करें? प्रधानमंत्री के पास बिहार के विकास का न कोई खाका है, न कोई विजन। अगर बिहार में निवेश नहीं होगा, उद्योग नहीं लगेंगे, तो यहां की युवा शक्ति केवल पलायन करती रहेगी।

Point of View

NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

मनोज झा ने संसद में किन मुद्दों पर चर्चा की?
मनोज झा ने आतंकवाद, विदेश नीति और बिहार के विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
क्या संसद का सत्र केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मंच है?
मनोज झा ने कहा कि यह सत्र केवल आरोप-प्रत्यारोप का मंच नहीं होना चाहिए, बल्कि गंभीर चर्चा का अवसर होना चाहिए।
बिहार के विकास के लिए मनोज झा का क्या कहना है?
उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री के पास कोई विजन नहीं है।