क्या सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली ऐलान को देर से लिया गया फैसला बताया?

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क्या सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली ऐलान को देर से लिया गया फैसला बताया?

सारांश

सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली ऐलान को एक राजनीतिक चाल बताया है। उन्होंने बिहार की जनता की नाराजगी के बीच इस घोषणा को देर से लिया गया फैसला कहा है। क्या यह कदम बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकेगा?

Key Takeaways

  • नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली ऐलान पर पुष्पेंद्र सरोज की आलोचना।
  • बिहार की जनता का वर्तमान राजनीतिक मिजाज।
  • विपक्षी एकता की आवश्यकता।
  • भाजपा पर नियंत्रणकारी विधेयकों का आरोप।
  • असम में बदलाव की मांग।

लखनऊ, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा को देर से लिया गया फैसला करार दिया। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इसे बिहार की जनता को लुभाने की कोशिश बताया और विपक्षी दलों से एकजुट होकर संसद में लोगों की आवाज उठाने की अपील की। साथ ही, उन्होंने बंगालियों को बांग्लादेशी बताने और बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने जैसे मुद्दों पर भी भाजपा को घेरा।

पुष्पेंद्र सरोज ने नीतीश कुमार की मुफ्त बिजली योजना पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में इतने सालों तक लोगों को भारी बिजली बिलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब जब जनता उनसे नाराज है और इंडिया गठबंधन की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है, तब नीतीश ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया।

उन्होंने इसे जनता को गुमराह करने की कोशिश बताया और कहा, "यह बहुत देर से लिया गया फैसला है। बिहार की जनता अब जाग चुकी है और नीतीश कुमार को अलविदा कहने को तैयार है। इंडिया गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की रैलियों में दिख रहा जनसमर्थन इस बदलाव की मांग को दर्शाता है।"

पुष्पेंद्र सरोज ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन को बिहार में मजबूती से लोगों की आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने संसद में पेश होने वाले नए विधेयकों पर चिंता जताई, जिन्हें वे नियंत्रणकारी और विकास विरोधी मानते हैं। सात-आठ नए विधेयक सिर्फ नियंत्रण के लिए हैं, विकास के लिए नहीं। वन नेशन, वन इलेक्शन जैसे प्रस्तावों पर भी सांसदों की राय नहीं सुनी जाती।"

उन्होंने कहा, "संसद में भाजपा के नेता बंगालियों को घुसपैठिया बताते हैं, जो गलत है। बिहार में मतदाताओं से वोट का अधिकार छीना जा रहा है। अगर बीजेपी को लगता है कि बांग्लादेशियों ने वोट डाले, तो क्या 2024 के चुनाव और पहले की सरकारों की वैधता पर भी सवाल उठेगा? सरोज ने इस मुद्दे पर निष्पक्ष जांच की मांग की।

पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा की हत्या जैसे मामलों पर सरोज ने कहा कि अपराधियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। जिन लोगों ने देश में हिंसा का माहौल बनाया, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। अपराधियों को जल्द पकड़ा जाए और ऐसी कार्रवाई हो जो उदाहरण बने।"

असम में कानून-व्यवस्था और स्थानीय मुद्दों पर बोलते हुए सरोज ने कहा कि वहां के लोग बदलाव चाहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयानों को विकास के बजाय विवादास्पद बताया। राहुल गांधी के असम दौरे और उनके बयान पर, जिसमें उन्होंने सरमा को "जेब में डालने" की बात कही, सरोज ने कहा, "राहुल गांधी एक राष्ट्रीय नेता हैं, जिन्हें पूरे देश का समर्थन है। हिमंत बिस्वा सरमा से उनकी कोई तुलना नहीं। असम में बदलाव की मांग बढ़ रही है।"

Point of View

आने वाले चुनावों में जनता के मिजाज को दर्शाते हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है, जो विपक्ष की एकता और जनता की जागरूकता को प्रभावित कर सकता है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

पुष्पेंद्र सरोज ने नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली ऐलान को क्यों आलोचना की?
उन्होंने इसे बिहार की जनता को गुमराह करने की कोशिश और देर से लिया गया फैसला बताया।
क्या सपा सांसद ने भाजपा पर भी आरोप लगाए?
हाँ, उन्होंने भाजपा पर बंगालियों को बांग्लादेशी बताने और मतदाता सूची से नाम हटाने का आरोप लगाया।
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