क्या भारत-चीन सीमा पर बसे गांव के बच्चों का सैनिक स्कूल में प्रवेश का सपना हो रहा है साकार?

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क्या भारत-चीन सीमा पर बसे गांव के बच्चों का सैनिक स्कूल में प्रवेश का सपना हो रहा है साकार?

सारांश

अरुणाचल प्रदेश के गांव सरली की 12 वर्षीया बच्ची मिली याबी ने भारतीय सेना के सहयोग से सैनिक स्कूल में प्रवेश पाया। यह कहानी न केवल उसकी मेहनत की है, बल्कि सीमावर्ती गांवों के बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

Key Takeaways

  • मिली याबी की सफलता सीमावर्ती गांवों के बच्चों के लिए प्रेरणा है।
  • भारतीय सेना की मेंटरशिप पहल ने बच्चों को परीक्षा की तैयारी में मदद की।
  • सरली गांव की स्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं, फिर भी बच्चों के सपने बड़े हैं।
  • सही मार्गदर्शन से दुर्गम गांवों के बच्चे भी सफल हो सकते हैं।
  • यह कहानी राष्ट्र की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज के जनजातीय गांव सरली की 12 वर्षीया बच्ची मिली याबी ने अपनी मेहनत और भारतीय सेना के सहयोग से सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में प्रवेश प्राप्त करके एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

सेना को उम्मीद है कि यह प्रतिभाशाली छात्रा एक दिन एनडीए में दाखिल होकर देश की सेवा करेगी।

गांव सरली एक सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है, जो भारत-चीन सीमा के निकट है। इस गांव की जनसंख्या लगभग 1,500 है और यह ईटानगर से लगभग 350 किलोमीटर दूर है।

यहां संसाधनों की कमी और कई भौगोलिक चुनौतियां मौजूद हैं। फिर भी, यहां के बच्चे भारतीय सेना से प्रेरित होकर सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना देखते हैं। इस सपने को साकार करने के लिए भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स ने मई 2024 में एक विशेष मेंटरशिप पहल शुरू की।

इस पहल का उद्देश्य दूरदराज के सीमावर्ती गांवों के बच्चों को सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराना था। इस कार्यक्रम के तहत कक्षा 5 और 8 के 33 बच्चों का चयन किया गया।

सितंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक चलने वाले प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को 88 कक्षाएं, 18 मॉक टेस्ट और विस्तृत परामर्श सत्र दिए गए। बच्चों को इंटीग्रेशन एवं मोटिवेशनल टूर पर भी ले जाया गया, जहां उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया।

इस दौरान सेना ने न केवल बच्चों की दस्तावेजीकरण में मदद की, बल्कि उन्हें प्रवेश परीक्षा के लिए ईटानगर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उठाई। इस प्रयास का अभूतपूर्व परिणाम सामने आया और 33 में से 32 बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया में, मिली याबी ने पहली चयनित उम्मीदवार बनकर सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में प्रवेश प्राप्त किया।

सेना को उम्मीद है कि आगामी काउंसलिंग दौर में कम से कम 4 से 6 अन्य बच्चों का चयन भी होगा।

भारतीय सेना ने मिली याबी की उपलब्धि को सीमा क्षेत्र के बच्चों की आकांक्षाओं और अरुणाचल के युवाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया है।

सेना का मानना है कि उचित मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर सरली जैसे दुर्गम गांव भी भविष्य में सशस्त्र बलों के अधिकारी तैयार कर सकते हैं। संभव है कि एक दिन मिली याबी एनडीए, खड़कवासला में प्रवेश लेकर देश की सेवा कर सके।

यह एक वर्षीय सतत पहल भारतीय सेना की राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता और 'नेशन फर्स्ट' दृष्टिकोण का एक शक्तिशाली उदाहरण है। यह कहानी न केवल मिली याबी की व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि सम्पूर्ण अरुणाचल और सीमावर्ती गांवों के लिए गर्व का क्षण है।

Point of View

यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमारे देश के दूरदराज के गांवों में भी प्रतिभा का भंडार है। जब सही मार्गदर्शन और अवसर मिलते हैं, तो ये बच्चे भी अपनी क्षमताओं को साबित कर सकते हैं। यह न केवल एक बच्चे की कहानी है, बल्कि हमारे राष्ट्र के भविष्य की भी प्रतीक है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

मिली याबी कौन है?
मिली याबी एक 12 वर्षीया लड़की है जो अरुणाचल प्रदेश के सरली गांव से है और उसने भारतीय सेना के मार्गदर्शन में सैनिक स्कूल में प्रवेश पाया है।
सरली गांव कहाँ स्थित है?
सरली गांव भारत-चीन सीमा के निकट अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।
भारतीय सेना की मेंटरशिप पहल का उद्देश्य क्या है?
इस पहल का उद्देश्य दूरदराज के गांवों के बच्चों को सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराना है।
कितने बच्चों का चयन किया गया?
इस कार्यक्रम के तहत कक्षा 5 और 8 के 33 बच्चों का चयन किया गया।
इस प्रयास का परिणाम क्या रहा?
इस प्रयास का परिणाम यह रहा कि 33 में से 32 बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा उत्तीर्ण की।