क्या सरदार वल्लभभाई पटेल ने अखंड भारत का निर्माण किया?

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क्या सरदार वल्लभभाई पटेल ने अखंड भारत का निर्माण किया?

सारांश

सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व कौशल ने 565 रियासतों को जोड़कर एक अखंड भारत की कल्पना को साकार किया। जानिए कैसे उन्होंने देश को मजबूती से एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।

Key Takeaways

  • सरदार पटेल ने भारत को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने 565 रियासतों को जोड़कर अखंड भारत का निर्माण किया।
  • उनकी नेतृत्व क्षमता और दृढ़ता की प्रशंसा की जाती है।
  • उन्होंने आईएएस और आईपीएस की नींव रखी, जिसे उन्होंने भारत का 'स्टील फ्रेम' कहा।
  • उनकी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 1910 के दशक में अहमदाबाद के एक भव्य क्लब में एक तेज-तर्रार वकील बैठे थे। पश्चिमी सूट में सजे, सिगार का धुआं उड़ाते हुए और ब्रिज खेलते हुए। उस समय, यह व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों को अव्यावहारिक मानते थे और स्वतंत्रता आंदोलन को एक दूर का सपना समझते थे।

यह कहानी एक साधारण नेता की नहीं, बल्कि सरदार वल्लभभाई पटेल की है। वह व्यक्ति, जिन्होंने भारत के बिखरे हुए 560 से अधिक टुकड़ों को जोड़कर एक 'राष्ट्र' का निर्माण किया।

31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में जन्मे वल्लभभाई का बचपन संघर्षों से भरा था। उन्होंने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

जब वे अपनी वकालत के चरम पर थे और धन और प्रसिद्धि उनके साथ थे, तभी 1917 में उनकी जिंदगी में एक निर्णायक मोड़ आया। महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद, इस 'साहब' ने अपना सूट उतारा, वकालत छोड़ दी और किसानों के हक की लड़ाई में कूद पड़े।

पटेल के नेतृत्व का असली जादू 1928 में बारडोली सत्याग्रह में देखने को मिला। अंग्रेजी सरकार ने अकाल के बावजूद किसानों पर 22 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया था। पटेल ने इसका विरोध करने के लिए एक ऐसी संगठनात्मक रणनीति बनाई, जिसे देखकर अंग्रेज भी चकित रह गए।

उन्होंने पूरे क्षेत्र को छावनियों में बदल दिया। उनका खुफिया तंत्र इतना मजबूत था कि पुलिस के आने से पहले ही गांव खाली हो जाते। उनकी ललकार पर किसानों ने अपनी जमीनें कुर्क होने को स्वीकार किया लेकिन झुकने को नहीं। अंततः, ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पड़े।

इस जीत के उत्साह में, बारडोली की महिलाओं ने उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन यह एक ऐसे कांच की तरह था, जो 565 टुकड़ों में बिखरा पड़ा था। हर रियासत का राजा अपना अलग देश चाहता था। कोई पाकिस्तान जाना चाहता था, तो कोई स्वतंत्र रहना चाहता था।

ऐसे समय में भारत को एक स्वप्नदर्शी की नहीं, बल्कि एक यथार्थवादी 'लौह पुरुष' की आवश्यकता थी। पहले गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप में, पटेल ने एक हाथ में कूटनीति का 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसियन' और दूसरे हाथ में सैन्य कार्रवाई की चेतावनी रखी।

वीपी मेनन के साथ मिलकर उन्होंने राजाओं को समझाया, कभी 'प्रिवी पर्स' का लालच दिया, तो कभी अपनी सख्त आंखों से डराया।

जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान जाने की घोषणा कर दी थी, जबकि वहां की जनता भारत के साथ थी। पटेल ने इसे 'देशभक्ति और प्रतिष्ठा' का प्रश्न बना लिया और जनमत संग्रह कराकर उसे भारत में मिला लिया।

सबसे बड़ी चुनौती हैदराबाद थी। वहां का निजाम और उसकी रजाकार सेना एक नासूर की तरह थे। पटेल ने स्पष्ट कहा, "हम भारत के दिल में एक अलग देश बर्दाश्त नहीं कर सकते।" 13 सितंबर 1948 को उन्होंने 'ऑपरेशन पोलो' का आदेश दिया। महज 4 दिनों में, दुनिया की सबसे अमीर रियासतों में से एक ने घुटने टेक दिए और हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन गया।

वर्ष 1950 सरदार पटेल का अंतिम वर्ष था, लेकिन उनकी मानसिक सजगता अंत तक बेमिसाल रही। जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' के आदर्श में विश्वास रखते थे, वहीं पटेल की नजरें हिमालय के पार देख रही थीं।

7 नवंबर 1950 को, अपनी मृत्यु से महज एक महीने पहले, उन्होंने नेहरू को एक ऐतिहासिक पत्र लिखा। उन्होंने चेतावनी दी कि तिब्बत पर चीन का कब्जा भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है और चीन के 'शांतिपूर्ण' दावों पर भरोसा करना विश्वासघात को न्यौता देना होगा।

सरदार पटेल जानते थे कि राजाओं को हटाना आसान है, लेकिन देश चलाना मुश्किल है। एक अखंड भारत को टिकाए रखने के लिए उन्होंने एक मजबूत ढांचे की आवश्यकता महसूस की। इसी सोच से उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और पुलिस सेवा (आईपीएस) की नींव रखी, जिसे उन्होंने भारत का 'स्टील फ्रेम' कहा। उनका मानना था कि राजनीतिज्ञ आएंगे और जाएंगे, लेकिन यह प्रशासनिक ढांचा देश को एक सूत्र में बांधे रखेगा।

15 दिसंबर 1950 को जब मुंबई में इस महानायक ने अंतिम सांस ली, तो उन्होंने अपने पीछे एक ऐसा भारत छोड़ा जो अब मानचित्र पर महज लकीरें नहीं, बल्कि एक सशक्त गणराज्य था।

आज गुजरात में नर्मदा के तट पर खड़ी उनकी 182 मीटर ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह केवल कंक्रीट और लोहे का ढांचा नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति के कद का प्रतीक है जिसने अपनी लोहे जैसी इच्छाशक्ति से भारत को एक किया।

जब भी हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक बिना किसी रोक-टोक के यात्रा करते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि यह एकता हमें सरदार पटेल की जिद, त्याग और दूरदर्शिता ने दी है।

Point of View

NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

सरदार पटेल का जन्म कब हुआ?
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था।
सरदार पटेल को 'सरदार' की उपाधि कब मिली?
बारडोली सत्याग्रह की जीत के बाद उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी गई।
सरदार पटेल ने कितनी रियासतों को एकजुट किया?
उन्होंने 565 रियासतों को एकजुट किया।
सरदार पटेल का अंतिम वर्ष कौन सा था?
वर्ष 1950 सरदार पटेल का अंतिम वर्ष था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कहाँ स्थित है?
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात में नर्मदा के तट पर स्थित है।
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