क्या सर्दियों में अस्थमा से डरने की बजाय लड़ने की जरूरत है? जानें आयुर्वेद से उपाय
सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा का इलाज संभव है।
- सर्दियों में कफ और वात दोष का संतुलन बनाए रखें।
- घरेलू नुस्खे जैसे हल्दी और तुलसी का सेवन करें।
- पंचकर्म प्रक्रियाएं फायदेमंद होती हैं।
- सही खान-पान और व्यायाम से सेहत में सुधार करें।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दी का मौसम अस्थमा के रोगियों के लिए काफी कठिनाइयाँ लेकर आता है। ठंडी-नम हवा, प्रदूषण और कमजोर इम्यूनिटी के कारण सांस लेना कठिन हो सकता है। लेकिन, आयुर्वेद के अनुसार, सरल उपायों से सांस के रोगों पर काबू पाया जा सकता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का कहना है कि सर्दियों में अस्थमा से डरने के बजाय, इसे मात देने की आवश्यकता है। आयुर्वेद के माध्यम से अस्थमा को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और पूरी सर्दी बिना किसी परेशानी के गुजारी जा सकती है।
आयुर्वेद में अस्थमा को 'तमक श्वास' कहा जाता है। यह तब होता है जब शरीर में कफ और वात दोष का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके प्रमुख लक्षणों में सांस लेते समय घरघराहट, सांस फूलना, सीने में जकड़न और रात में खांसी का बढ़ना शामिल हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कमजोर पाचन तंत्र, शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ (आम), ठंडा-नम मौसम, गलत खान-पान और मानसिक तनाव।
आयुर्वेद के अनुसार, सही उपचार और कुछ बदलावों से अस्थमा पर पूरी तरह काबू पाया जा सकता है। मंत्रालय आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानकारी देते हुए तात्कालिक राहत के उपाय भी बताता है। अस्थमा में राहत के लिए वसाका (अडूसा), पिप्पली और तुलसी का सेवन फायदेमंद होता है। ये फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं और कफ को बाहर निकालते हैं।
पंचकर्म भी अत्यंत लाभकारी है। वमन और विरेचन जैसी प्रक्रियाएं शरीर से जमा कफ और विषाक्त पदार्थों को निकालकर सांस की नलियों को साफ करती हैं। इसके अलावा, घरेलू नुस्खे भी राहत पहुँचाते हैं। गर्म पानी में हल्दी-शहद मिलाकर पीना, अदरक-तुलसी की चाय और भाप लेना सांस के रोगियों को आराम देता है।
छोटे-छोटे बदलाव और आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर सर्दियों में भी सांस के मरीज स्वस्थ रह सकते हैं। रोजाना के सरल बदलावों जैसे गर्म, हल्का और पौष्टिक भोजन लेना और ठंडी, भारी तथा तली हुई चीजें न लेना बहुत महत्वपूर्ण है। सुबह हल्का व्यायाम और प्राणायाम करना भी फायदेमंद होता है।
एक्सपर्ट से सलाह लेकर अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति का अभ्यास जरूर करें। कमरे में नमी कम रखें, गर्म कपड़े पहनें और धुएं-धूल से बचें।