क्या सर्दियों में पाचन को दुरुस्त रखने के लिए योगासन मदद करते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- वज्रासन भोजन के बाद करना चाहिए।
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन रीढ़ को लचीला बनाता है।
- पवन मुक्तासन गैस और कब्ज में राहत देता है।
- मार्जरी आसन पाचन सुधारता है।
- नियमित अभ्यास से पाचन दुरुस्त रहता है।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों में ठंडी हवा, कम पानी पीने की आदत और भारी खाने से अपच, कब्ज और वात संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इनसे पेट फूलना, गैस और असहजता जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। योग इन समस्याओं से राहत पाने के लिए चार आसनों का सुझाव देता है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय पाचन तंत्र को मजबूत रखने के लिए चार सरल योगासनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देता है। ये आसन घर पर आसानी से किए जा सकते हैं और रोजाना 10-15 मिनट के अभ्यास से डाइजेशन संतुलित रहता है।
इन योगासनों का अभ्यास अपनी क्षमता के अनुसार करें। इससे सेहत को कई लाभ मिलते हैं। इन चार आसनों में वज्रासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, पवन मुक्तासन और मार्जरी आसन शामिल हैं। ये आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, गैस निकालने में मदद करते हैं और वात दोष को संतुलित करते हैं।
वज्रासन: यह एकमात्र ऐसा आसन है जिसे भोजन के तुरंत बाद किया जा सकता है। इसके लिए घुटनों के बल बैठें, एड़ियां नितंबों के नीचे और हाथ घुटनों पर रखें। यह पाचन को तेज करता है, अपच को दूर करता है और कब्ज में आराम देता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन: बैठकर किया जाने वाला यह आसन रीढ़ को लचीला बनाता है और पेट के अंगों की मालिश करता है। इसके लिए एक पैर मोड़कर दूसरे के ऊपर रखें और विपरीत दिशा में मुड़ें। यह गैस, कब्ज और अपच की समस्या में विशेष लाभ देता है।
पवन मुक्तासन: इस आसन के अभ्यास के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों घुटनों को छाती से लगाएं और सांस छोड़ते हुए दबाव डालें। यह गैस रिलीज करने वाला आसन है, जो पेट फूलने की समस्या में विशेष रूप से लाभकारी है और कब्ज में भी तुरंत आराम देता है।
मार्जरी आसन: इसे कैट-काउ पोज भी कहा जाता है। इसके अभ्यास के दौरान चौपाए की मुद्रा में सांस लेते हुए पीठ ऊपर उठाएं (कैट) और छोड़ते हुए नीचे झुकाएं (काउ)। यह पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करता है, पाचन सुधारता है और वात संतुलन में मदद करता है।
इन आसनों का नियमित अभ्यास सर्दियों में पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करता है। शुरुआत में योग प्रशिक्षक की देखरेख में करें और किसी स्वास्थ्य समस्या में डॉक्टर से सलाह लें।