क्या सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग से एफआईआर की कॉपी मांगी?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज की एफआईआर की मांग
- चुनाव आयोग पर हेराफेरी के आरोप
- 6166 वोट काटने की अर्जियां
- चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता की आवश्यकता
- अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई
नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी ने भारत निर्वाचन आयोग के जवाब पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग से चुनावी प्रक्रिया में हेराफेरी के लिए दर्ज की गई एफआईआर की कॉपी मांगी है।
सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग के 'एक्स' पोस्ट को पुनः साझा करते हुए कहा कि कृपया वैध मतदाताओं के नाम अवैध रूप से हटाने की कोशिश, धोखाधड़ी और चुनावी प्रक्रिया में हेराफेरी के लिए दर्ज की गई एफआईआर की प्रति उपलब्ध कराएं। यह स्पष्ट रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को हाईजैक करने के लिए एक संगठित सिंडिकेट था। लोग जानना चाहते हैं कि क्या कोई गिरफ्तारी हुई है?
उन्होंने कहा कि 8 महीने हो चुके हैं, इसलिए अब तक चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी। यदि आप हलफनामे का इंतजार कर रहे हैं तो मैं हलफनामे पर हस्ताक्षर करके उसे जमा करने के लिए तैयार हूं। हम सरकार द्वारा लगाए गए अजीब मुकदमे से नहीं डरते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने दूसरे एक्स पोस्ट में लिखा, "जो वकील भाई प्रसिद्ध होना चाहते हैं, मेरे लिए एफिडेविट टाइप करवाओ। चुनाव आयोग को एफिडेविट दे दिया जाए।
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि फरवरी 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान नई दिल्ली और शाहदरा विधानसभाओं में बड़ी संख्या में वोट कटने की शिकायतें आई थीं। उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 तक केवल नई दिल्ली विधानसभा में ही 6166 वोट काटने की अर्जियां दी गईं। वहीं, 2020 में जहां विधानसभा क्षेत्र में 1,46,000 वोट थे, वहीं अक्टूबर 2024 की समरी लिस्ट में यह संख्या घटकर 1,04,000 रह गई। यानी 42,000 वोट पहले ही लिस्ट से हटा दिए गए थे।
उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि तरुण कुमार चौटाला, उषा देवी, सुनीता देवी और अन्य लोगों के नाम पर वोट कटवाने की दर्जनों अर्जियां दाखिल की गईं, जबकि संबंधित लोगों ने ऐसी किसी भी अर्जी से साफ इनकार किया। भारद्वाज ने कहा कि यह फर्जीवाड़ा सीधे तौर पर लोगों के मतदान के अधिकार का हनन है और कानूनन अपराध है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी ने 5 जनवरी 2025 को मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। इसके बाद 8 और 9 जनवरी को भी उन्होंने पत्र भेजे, जबकि आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी चुनाव आयोग को शिकायत दी थी। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।