क्या शाही जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद में कोर्ट का फैसला सही है?

सारांश
Key Takeaways
- शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच भूमि विवाद का महत्व
- कोर्ट का निर्णय और उसकी वैधता
- सर्वे के दौरान हुई हिंसा और प्रशासन की कार्रवाई
- अगली सुनवाई की तिथि
- समाज में इस विवाद के संभावित प्रभाव
संभल, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में स्थित शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच का भूमि विवाद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। हाल ही में, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी किए गए सर्वे आदेश को वैध ठहराया है।
मुस्लिम पक्ष की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे क्षेत्र में पुनः सर्वे कराने का रास्ता साफ हो गया है। अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।
यह विवाद तब सुर्खियों में आया था जब कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़क उठी थी। उस दिन चार लोगों की जान गई और 29 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे। प्रशासन ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए अब तक 96 आरोपियों को जेल भेजा है।
इसके अतिरिक्त, 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जांच के लिए गठित एसआईटी ने इस मामले में 1,100 पन्नों की एक विस्तृत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है, जिसमें कुल 22 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस सतर्कता बनाए हुए हैं। शाही जामा मस्जिद के संबंध में कोर्ट के आदेश के तहत सर्वे की तैयारियाँ चल रही हैं, ताकि प्रक्रिया शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से समाप्त हो सके। यह मामला धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील है, इसलिए जिला प्रशासन मामले में कोई कोताही नहीं बरतने का मन बना चुका है। सभी की निगाहें इस मामले में आगे होने वाली कोर्ट की सुनवाई और सर्वे की प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं।