क्या साहित्यकार शैलेश मटियानी को 'उत्तराखंड गौरव सम्मान 2025' मिला?
सारांश
Key Takeaways
- शैलेश मटियानी को सम्मानित करना साहित्य का सम्मान है।
- उत्तराखंड सरकार साहित्यकारों को पहचान देती है।
- उनकी कृतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं।
- समारोह में कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे।
- यह सम्मान प्रदेश के साहित्य प्रेमियों के लिए गर्व का क्षण है।
देहरादून, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सीएम आवास में एक सादगीपूर्ण और गरिमामय समारोह के दौरान प्रतिष्ठित हिंदी साहित्यकार स्वर्गीय शैलेश मटियानी को दिए गए 'उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार 2025' को उनके बेटे राकेश मटियानी को सौंपा। यह सम्मान स्व. मटियानी की साहित्यिक ऊँचाइयों, हिंदी कहानी साहित्य में उनके अनमोल योगदान और उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त पहचान दिलाने के लिए दिया गया है।
इस अवसर पर, सीएम धामी ने कहा कि शैलेश मटियानी केवल एक लेखक नहीं थे, बल्कि उन्होंने संवेदनाओं के कुशल शिल्पी की तरह कार्य किया। उनका योगदान आधुनिक हिंदी कहानी आंदोलन में अमिट है। उन्होंने आम लोगों की चुनौतियों, संघर्षों और जीवन के सत्य को जिस प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया, वह उन्हें भारतीय साहित्य के महान रचनाकारों में स्थान दिलाता है।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड सरकार उन महान व्यक्तियों के योगदान का हमेशा सम्मान करती है, जिन्होंने अपनी लेखनी, कर्म और रचनात्मकता से भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित किया है। स्व. मटियानी की 'बोरीवली से बोरीबन्दर', 'मुठभेड़', 'अधागिनी', 'चील' जैसी कई कथा कृतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं और हिंदी साहित्य में उनका एक विशिष्ट स्थान है।
सीएम धामी ने कहा कि मरणोपरांत यह सम्मान स्वर्गीय मटियानी के परिवार को सौंपना राज्य सरकार के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने उनके पुत्र को सम्मानित करते हुए कहा कि साहित्यकारों का सम्मान समाज और प्रदेश दोनों को समृद्ध बनाता है।
स्व. शैलेश मटियानी के बेटे ने उत्तराखंड सरकार और सीएम पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान पूरे प्रदेश के साहित्य प्रेमियों और मटियानी के प्रशंसकों के लिए गर्व का क्षण है। इस कार्यक्रम में सचिव विनोद कुमार सुमन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी, साहित्यकार और परिवारजन उपस्थित थे।