क्या बढ़ता कोलेस्ट्रॉल आपके शरीर के लिए खतरे का संकेत है? आयुर्वेद से जानें उपाय
सारांश
Key Takeaways
- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना दिल के लिए खतरा हो सकता है।
- आयुर्वेद में इसके नियंत्रण के लिए कई प्राकृतिक उपाय हैं।
- संतुलित आहार और नियमित व्यायाम आवश्यक हैं।
- तैलीय और जंक फूड से दूरी बनाना जरूरी है।
- त्रिफला और गुग्गुलु जैसे हर्ब्स का सेवन लाभकारी हो सकता है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए आवश्यक है, लेकिन जब यह अत्यधिक बढ़ जाता है, तो यह दिल पर भारी पड़ने लगता है। जब वसा रक्त में अधिक होती है, तो यह धीरे-धीरे धमनियों में जमकर उन्हें संकुचित और कठोर कर देती है। इसके परिणामस्वरूप खून का प्रवाह बाधित होता है, जिससे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
आयुर्वेद के अनुसार, जब पाचन कमजोर होता है, तैलीय और मीठा भोजन अधिक खाया जाता है, तनाव बना रहता है और शारीरिक गतिविधि कम होती है, तब कोलेस्ट्रॉल अपने सामान्य स्तर से ऊपर चला जाता है। चरक संहिता में भी उल्लेख है कि जब मेद दोष बढ़ता है, तब शरीर भारी और मन सुस्त हो जाता है।
आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल को मेद धातु विकार के रूप में जाना जाता है, जो शरीर के धातु संतुलन से संबंधित है। जब भोजन ठीक से नहीं पचता है, तो वह शरीर में बिखर जाता है और नसों में जमा होने लगता है। इसके लक्षणों में थकान, भारीपन, सुस्ती, सांस फूलना और दिल की धड़कन तेज होना शामिल हैं। यदि पाचन और जीवनशैली में सुधार किया जाए, तो शरीर की धमनियां स्वाभाविक रूप से साफ हो जाती हैं और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
इस समस्या के लिए कुछ आयुर्वेदिक हर्ब्स उपयोगी माने जाते हैं, जैसे कि रात में लेने से त्रिफला पाचन को दुरुस्त करता है। गुग्गुलु मेद दोष को कम करने में विशेष रूप से सहायक है।
अर्जुन की छाल हृदय को मजबूत बनाती है और लिपिड प्रोफाइल को सुधारती है। मेथी दाना को सुबह भिगोकर पीने से कोलेस्ट्रॉल स्वाभाविक रूप से कम होता है। लहसुन भी रक्त को साफ करने में सहायक है, लेकिन इसे बिना सलाह के अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए।
कुछ सरल घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं, जैसे रात को त्रिफला लेना, सुबह शहद-नींबू पानी पीना, तुलसी-अदरक वाली ग्रीन टी लेना और रोज़ कम से कम 20–30 मिनट टहलना। तैलीय भोजन, जंक फूड, मीठे और तैयार खाद्य पदार्थों से दूरी बनाना अत्यंत आवश्यक है।