क्या शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का 91 साल की उम्र में निधन हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन भारतीय संगीत के लिए एक बड़ी क्षति है।
- उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया।
- उनका योगदान भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण रहा।
- प्रधानमंत्री मोदी ने उनके प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।
- उनका अंतिम संस्कार बनारस में होगा।
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को 91 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली।
सूत्रों के अनुसार, शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र की तबीयत काफी समय से खराब चल रही थी। उन्हें कुछ दिन पहले बीएचयू में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उनकी तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
घर लौटने के बाद भी उनकी सेहत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ और गुरुवार सुबह मिर्जापुर में उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को बनारस में किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, "सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने जीवनभर भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहकर शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया और भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में योगदान दिया। मुझे उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।"
उन्होंने आगे कहा, "साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। इस दुखद घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!"
यह उल्लेखनीय है कि पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था।
पंडित छन्नूलाल मिश्र किराना और बनारस घराने के प्रमुख गायक थे। उन्होंने महज छह वर्ष की आयु में अपने पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली और नौ वर्ष की आयु में उस्ताद गनी अली साहब से खयाल गायकी की बारीकियां सीखीं। उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद, एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, जिनसे उन्हें संगीत विरासत में मिला था।