क्या शेखपुरा विधानसभा सीट पर जदयू फिर से जीत हासिल करेगी?
सारांश
Key Takeaways
- शेखपुरा विधानसभा में तीन प्रमुख दलों के बीच मुकाबला।
- यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
- शेखपुरा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व।
- कृषि और छोटे उद्योग यहां की प्रमुख आजीविका।
- राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस का मजबूत गढ़।
पटना, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के शेखपुरा जिले की शेखपुरा विधानसभा सीट इस बार एक बार फिर से रोचक मुकाबले की ओर अग्रसर है। यहां जेडीयू ने रणधीर कुमार सोनी, राजद ने विजय यादव और जनस्वराज पार्टी ने राजेश कुमार को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। कुल 9 प्रत्याशी इस चुनावी रण में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला इन तीन दलों के बीच ही होने की संभावना है।
शेखपुरा विधानसभा में अरियरी, चेवाड़ा और घाटकुसुंभा प्रखंड शामिल हैं। यह जिला 1994 में मुंगेर से अलग होकर अस्तित्व में आया था और यह बिहार का सबसे छोटा जिला है। उत्तर में नालंदा और पटना, दक्षिण में नवादा और जमुई, पूर्व में लखीसराय तथा पश्चिम में नालंदा और नवादा जिलों से घिरा यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से समतल है। दक्षिणी भाग में कुछ छोटी पहाड़ियां हैं और ज्यादातर किसान मानसून पर निर्भर हैं, क्योंकि सिंचाई की सुविधाएं अपर्याप्त हैं। कृषि यहां की प्रमुख आजीविका है, साथ ही खनन और स्टोन क्रशर जैसे छोटे उद्योग भी स्थानीय रोजगार का साधन हैं।
शेखपुरा का इतिहास भी अत्यंत समृद्ध और प्राचीन है। कहा जाता है कि महाभारत काल में भीम ने यहां हिडिम्बा से विवाह किया था और उनके पुत्र घटोत्कच का जन्म हुआ था। इस ऐतिहासिक कथा से जुड़ी प्रमाण आज भी 'गिरिहिन्दा' गांव में देखने को मिलते हैं।
इसके अलावा, सांस्कृतिक दृष्टि से भी शेखपुरा अपनी विशेष पहचान रखता है। यह जिला कभी मगध साम्राज्य का हिस्सा था और आज भी मगध की सांस्कृतिक परंपराओं को संजोए हुए है। यहां 'फेमस टेलर' नामक दुकान स्थानीय पहचान बन चुकी है, जो चांदनी चौक, शेखपुरा में स्थित है।
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो शेखपुरा विधानसभा एक समय कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है। कांग्रेस ने अब तक यहां 12 बार जीत दर्ज की है, जबकि सीपीआई को 3, जदयू को 2 और राजद को 1 बार जीत मिली है। बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह 1957 में इसी सीट से विधायक बने थे। कांग्रेस नेता राजो सिंह लगातार पांच बार (1967-1995) यहां से विधायक रहे, और उनके बेटे संजय सिंह दो बार विधानसभा पहुंचे। 2020 के चुनाव में आरजेडी उम्मीदवार विजय यादव ने पहली बार इस सीट पर आरजेडी का परचम लहराया।
जातीय समीकरणों की बात करें तो इस सीट पर यादव मतदाताओं का प्रभाव निर्णायक माना जाता है। इसके बाद कुर्मी और भूमिहार समुदाय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।