क्या श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर 108 वैष्णव मंदिरों में खास है, जहाँ योगनिद्रा में दर्शन देते हैं भगवान विष्णु?

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क्या श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर 108 वैष्णव मंदिरों में खास है, जहाँ योगनिद्रा में दर्शन देते हैं भगवान विष्णु?

सारांश

श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर, जो ढाई हजार साल पुराना है, भारत के 108 वैष्णव मंदिरों में से एक है। यहाँ भगवान विष्णु योगनिद्रा की अवस्था में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस मंदिर की अद्वितीयता और इसके पीछे की कहानियाँ जानने के लिए पढ़ें।

Key Takeaways

  • श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर का इतिहास ढाई हजार साल पुराना है।
  • भगवान विष्णु की 22 फीट लंबी प्रतिमा विशेष है।
  • यह मंदिर 18 सीढ़ियों के बाद पहुँचा जा सकता है।
  • भगवान विष्णु योगनिद्रा की अवस्था में विराजमान हैं।
  • वैकुंठ एकादशी पर विशेष अनुष्ठान होते हैं।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विभिन्न हिस्सों में भगवान विष्णु अनेक रूपों में प्रतिष्ठित हैं। कहीं उन्हें विट्ठल कहा जाता है, तो कहीं जगन्नाथ के रूप में पूजा की जाती है। लेकिन तमिलनाडु के तिरुवत्तार में भगवान ने राक्षसों का वध करने के बाद योगनिद्रा की अवस्था में विराजमान हैं।

कहा जाता है कि इस स्वरूप के दर्शन से जीवन की बड़ी बाधाओं का समाधान होता है, क्योंकि स्वयं भगवान विष्णु आपकी रक्षा के लिए आते हैं।

ढाई हजार वर्ष पुराना श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर कई मायनों में विशेष है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की 22 फीट लंबी प्रतिमा है, जो बड़े शेषनाथ की पीठ पर एक हाथ से सहारा लेकर सोती हुई दिखाई देती है। यह पहली बार है जब भगवान की सोती हुई प्रतिमा का पूजन किया जाता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को 18 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। भगवान विष्णु की यह प्रतिमा सरसों, गुड़ और चूने के पाउडर से निर्मित है।

मान्यता है कि भगवान विष्णु की योगनिद्रा की प्रतिमा ब्रह्मांड के प्रकट होने का स्वप्न देखती है और भक्तों की बुराई से रक्षा करने का दायित्व निभाती है। यह मंदिर भारत के 108 वैष्णव मंदिर में से एक है, जिनमें से 105 भारत में और बाकी नेपाल में स्थित हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंती भी प्रसिद्ध है कि राक्षसों के अत्याचार से लोगों को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण किया था।

पुराणों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सरस्वती देवी के बिना यज्ञ किया था। इस पर क्रोधित होकर माता सरस्वती ने यज्ञ की अग्नि से केसन और केशी नामक दो असुर प्रकट किए। देवताओं ने भगवान विष्णु से राक्षसों के विनाश की प्रार्थना की, और भगवान विष्णु ने आदिकेशव पेरुमल का रूप धारण कर दोनों राक्षसों का वध किया। लेकिन राक्षसी केसी ने अपने भाइयों के वध का बदला लेने के लिए सहेली नदी कोथाई के साथ मिलकर, नदियों के रूप में भगवान विष्णु को डुबाने की कोशिश की। लेकिन भूमि देवी ने योग निद्रा में गए भगवान विष्णु को बचाने के लिए धरती को 50 फीट ऊपर उठा दिया।

आज भी यह मंदिर कोथाई और पहराली नदियों से घिरा है और जमीन से 50 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर की वास्तुकला तिरुवनंतपुरम के अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर से मिलती-जुलती है। गृभगृह में प्रवेश के लिए तीन रास्ते बने हैं, और कुछ खास अवसरों पर सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के गृभगृह में भगवान विष्णु पर गिरती हैं।

वैकुंठ एकादशी के अवसर पर मंदिर में बड़े अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। इस दिन भगवान चार महीने बाद योगनिद्रा से जागते हैं, और इस मंदिर में भक्तों को दर्शन देते हैं।

Point of View

श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस मंदिर की कहानी हमें यह सिखाती है कि आस्था और विश्वास में कितनी शक्ति होती है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

श्री आदिकेशव पेरुमल मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुवत्तार में स्थित है।
भगवान विष्णु की प्रतिमा की लंबाई कितनी है?
भगवान विष्णु की प्रतिमा 22 फीट लंबी है।
इस मंदिर की विशेषता क्या है?
इस मंदिर की विशेषता भगवान विष्णु की योगनिद्रा की अवस्था में सोती हुई प्रतिमा है।
क्या इस मंदिर में कोई विशेष अनुष्ठान होते हैं?
हाँ, वैकुंठ एकादशी पर इस मंदिर में बड़े अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
मंदिर की वास्तुकला किससे मिलती है?
यह मंदिर तिरुवनंतपुरम के अनंत पद्मनाभस्वामी मंदिर की वास्तुकला से मिलती है।
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