क्या सोशल मीडिया पर चीजों को गलत संदर्भ में पेश किया जाता है? पूर्व सीजेआई गवई का बयान

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क्या सोशल मीडिया पर चीजों को गलत संदर्भ में पेश किया जाता है? पूर्व सीजेआई गवई का बयान

सारांश

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग और न्यायपालिका पर उसके प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सभी संस्थाओं के लिए इसके खतरनाक परिणामों की चेतावनी दी है। क्या हमें इस चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए?

Key Takeaways

  • सोशल मीडिया का दुरुपयोग सभी संस्थाओं के लिए खतरनाक है।
  • जजों को केवल तथ्यों और सबूतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
  • ट्रोलिंग को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
  • सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत हमले गलत हैं।
  • बीआर गवई का कानूनी सफर प्रेरणादायक है।

नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने सोशल मीडिया और न्यायपालिका से जुड़े विवादों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का गलत उपयोग देश की तीनों संस्थाओं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) के लिए एक चुनौती बन गया है।

पूर्व सीजेआई गवई ने कहा, "सोशल मीडिया का दुरुपयोग सभी को प्रभावित कर रहा है। चाहे वह कार्यपालिका हो, विधायिका हो या न्यायपालिका, सभी ट्रोल किए जा रहे हैं। यह तकनीक एक वरदान है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल भी हो रहा है। इसे रोकने के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर की जाने वाली आलोचना या ट्रोलिंग के आधार पर जज का निर्णय नहीं होना चाहिए। जज को केवल तथ्यों, दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

पूर्व सीजेआई ने भगवान विष्णु के संबंध में उनके बयान को लेकर सोशल मीडिया पर हुई आलोचना पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मैं सोशल मीडिया नहीं देखता। मुझे यह दृढ़ विश्वास है कि एक जज को यह नहीं देखना चाहिए कि लोग फैसला पसंद करेंगे या नहीं। जब सामने तथ्यों और सबूतों का सेट होता है तो निर्णय कानून के अनुसार होना चाहिए।"

उन्होंने यह भी कहा कि जज को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करके ट्रोल करना पूरी तरह से गलत है।

पूर्व सीजेआई ने न्यायपालिका से जुड़े अन्य मामलों पर भी अपनी राय दी। जब उनसे जस्टिस यशवंत वर्मा मामले पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "चीफ जस्टिस के फैसले के बाद, संसद के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई है। उनका कार्य अभी जारी है, इसलिए इस समय इस मामले पर मेरी टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।"

भारत के 52वें चीफ जस्टिस बीआर गवई का कानूनी सफर बहुत लंबा रहा है। उन्होंने 1985 में अपनी वकालत शुरू की थी, लेकिन वे शुरू से ही कानून के राज से परिचित थे, क्योंकि उनका परिवार सोशल एक्टिविज्म में संलग्न था। अपने पूरे करियर में एक वकील, बॉम्बे हाई कोर्ट के जज, सुप्रीम कोर्ट के जज और अंततः सीजेआई के तौर पर जस्टिस गवई ने न्यायिक कुशलता और कानून के राज के प्रति गहरा समर्पण दिखाया।

जस्टिस गवई ने इस साल 14 मई को 52वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली। उनकी नियुक्ति एक ऐतिहासिक मील का पत्थर थी, क्योंकि वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध और जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे सीजेआई थे।

Point of View

जिससे हमें यह समझने की जरूरत है कि सोशल मीडिया का गलत उपयोग हमारे लोकतंत्र के लिए कैसे खतरा बन सकता है।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

पूर्व सीजेआई गवई ने सोशल मीडिया पर क्या कहा?
पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि सोशल मीडिया का गलत उपयोग न्यायपालिका के लिए एक चुनौती है और जज को केवल तथ्यों पर निर्णय लेना चाहिए।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग कैसे हो रहा है?
सोशल मीडिया का दुरुपयोग सभी संस्थाओं, जैसे कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है।
जजों की आलोचना का क्या असर होता है?
जजों की आलोचना का असर यह होता है कि उन्हें निर्णय लेने में सोशल मीडिया पर टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
क्या सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग सही है?
नहीं, जजों को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करके ट्रोल करना गलत है।
बीआर गवई का कानूनी सफर कैसा रहा?
बीआर गवई का कानूनी सफर बहुत लंबा और सफल रहा है, और उन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों में सेवा दी है।
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