क्या नई शिक्षा नीति पढ़ाई को बेहतर बनाएगी? : सुदर्शन पटनायक

सारांश
Key Takeaways
- सुदर्शन पटनायक ने शिक्षक दिवस पर राधाकृष्णन की रेत कलाकृति बनाई।
- नई शिक्षा नीति शिक्षा में रचनात्मकता लाने का प्रयास करती है।
- शिक्षकों की भूमिका और योगदान को महत्व दिया गया है।
पुरी, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रसिद्ध रेत कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पटनायक ने गुरुवार को पुरी बीच पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की एक अद्भुत कलाकृति बनाई।
यह 5 फीट ऊंची कृति बनाने में 6 टन रेत का प्रयोग किया गया। इस पर संस्कृत में “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् परम ब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः” और “हैप्पी टीचर्स डे” लिखा गया है। इस कलाकृति को पटनायक और उनके रेत कला संस्थान के छात्रों ने मिलकर तैयार किया।
यह रेत कलाकृति न केवल कला का अद्वितीय नमूना है, बल्कि समाज में शिक्षकों की भूमिका को भी उजागर करती है। पुरी बीच पर बनी इस मूर्ति को देखने के लिए लोगों की बड़ी संख्या उमड़ रही है, जो शिक्षक दिवस के महत्व को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रही है।
यह कलाकृति शिक्षकों के महत्व को दर्शाती है और उनके ज्ञान, धैर्य और करुणा के प्रति सम्मान व्यक्त करती है।
सुदर्शन पटनायक ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं उन सभी शिक्षकों को नमन करता हूं, जो हमें शिक्षा और मार्गदर्शन देते हैं। आज हम जो कुछ भी हैं, वह हमारे गुरुओं की देन है। हमें उनकी शिक्षाओं को जीवन में अपनाना चाहिए।"
पटनायक ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाना गर्व की बात है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में राधाकृष्णन के योगदान को याद किया, जो शिक्षकों और छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
इस अवसर पर पटनायक ने नई शिक्षा नीति की भी सराहना की। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति लागू कर बच्चों के लिए रचनात्मक और उपयोगी शिक्षा को बढ़ावा दिया है। यह नीति पढ़ाई को और बेहतर बनाएगी।"