क्या विपक्ष में होना अपराध है? 'वोट चोरी' की जांच पर सुप्रिया सुले का बयान

सारांश
Key Takeaways
- वोट चोरी की जांच की आवश्यकता पर जोर
- विपक्ष में होना कोई अपराध नहीं है
- किसानों की आत्महत्या पर सरकार की नाकामी
- डॉक्टरों की समस्याओं का समाधान जरूरी
- मराठा आरक्षण पर चर्चा की आवश्यकता
मुंबई, १८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी के मुद्दे पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस का समर्थन करते हुए चुनावी डेटा की जांच को अत्यधिक आवश्यक बताया।
उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए अधिकारों के बावजूद यदि वोट चोरी हो रही है, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
सुले ने कहा, “मैं चाहती हूं कि जांच की शुरुआत मेरे निर्वाचन क्षेत्र बारामती से हो। मैं मेहनत से जीती हूं। अगर कोई गड़बड़ी है, तो पहले हमारे क्षेत्र की जांच होनी चाहिए।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में ‘वोट चोरी’ करके नहीं, मेहनत से जीतना चाहिए। विपक्ष में होना कोई अपराध नहीं है, लेकिन चोरी से जीत हासिल करना गलत है।
इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी के दबाव पर बोलते हुए सुप्रिया सुले ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लोग दबाव में पार्टी छोड़ रहे हैं। पहले सरकार आक्रामक थी, लेकिन अब उसकी रणनीति धीमी हो गई है।
उन्होंने कहा, “भाजपा के पास ‘वॉशिंग मशीन’ है, लेकिन हम सिद्धांतों की राजनीति करते हैं। डेटा और नंबर कभी झूठ नहीं बोलते। अगर किसी ने देश के साथ गलत किया, तो हम उसे माफ नहीं करेंगे।”
मुंबई में मीना ताई ठाकरे के पुतले पर रंग फेंकने की घटना पर सुप्रिया सुले ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने इसे दुखद और गलत बताते हुए सुझाव दिया कि सभी पुतलों के पास सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
जब मुंबई लोकल बॉडी इलेक्शन पर सवाल उठे, तो उन्होंने कहा, “पहले चुनाव की घोषणा हो, फिर उस पर चर्चा करेंगे। अभी तो यह भी स्पष्ट नहीं है कि चुनाव कब होंगे।”
वहीं, छत्रपति संभाजीनगर में किसान आत्महत्या पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों, बच्चों, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल जीवन मिशन के प्रति संवेदनशील नहीं है।
सुप्रिया सुले ने दावा किया कि महाराष्ट्र में हर तीन घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है, लेकिन सरकार “घर तोड़ो, पार्टी तोड़ो” और बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स लेने में व्यस्त है। किसानों को न तो सही भाव मिल रहा है और न ही दूध जैसे उत्पादों पर लाभ। सरकार ने कर्जमाफी का जो वादा किया था, वह एक साल बाद भी पूरा नहीं हुआ।
महाराष्ट्र में डॉक्टरों की हड़ताल पर सुले ने कहा कि डॉक्टरों को भगवान माना जाता है और मरीजों की तकलीफ उनकी गलती नहीं है। सरकार को डॉक्टरों से संवाद करना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।
मराठा आरक्षण पर उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से गंभीर चर्चा की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मुद्दे पर विधानसभा सत्र में विस्तृत प्रेजेंटेशन देना चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो। पार्टी मीटिंग बुलानी चाहिए ताकि देश को साफ समझ आए कि मराठा आरक्षण को लेकर क्या स्थिति है। फिलहाल सिर्फ कंफ्यूजन फैला हुआ है।