क्या शकीरा खलीली हत्याकांड में स्वामी श्रद्धानंद की याचिका खारिज हुई?
सारांश
Key Takeaways
- स्वामी श्रद्धानंद की याचिका कोर्ट ने खारिज की।
- 30 वर्षों से कर रहे हैं सजा काटना।
- हत्याकांड ने कानून और व्यवस्था पर उठाए सवाल।
- शकीरा खलीली की कहानी समाज को जागरूक करती है।
- डॉक्यूमेंट्री ने इस मामले को नए सिरे से प्रस्तुत किया।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के विवादास्पद स्वघोषित बाबा स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की अपील की थी।
श्रद्धानंद पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से उम्रकैद की सजा काट रहा है। यह मामला देश के सबसे चौंकाने वाले हत्याकांडों में से एक माना जाता है, जिस पर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 'डांसिंग ऑन द ग्रेव' नाम की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है।
28 अप्रैल 1991 को बेंगलुरु में मुरली ने एक ऐसी घटना को अंजाम दिया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उसने अपनी पत्नी शकीरा खलीली को जिंदा दफन कर दिया। इसके बाद वह तीन साल तक पार्टी और डांस करता रहा। लेकिन अंततः पुलिस ने मामले का खुलासा किया और तब से मुरली मनोहर सलाखों के पीछे है।
यह ध्यान देने योग्य है कि शकीरा खलीली, जो मैसूर के दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती हैं, एक रॉयल और धनवान परिवार से थीं। पहले उनकी शादी अकबर मिर्जा खलीली से हुई थी, जिनके चार बेटियां थीं। अकबर अक्सर विदेश में रहते थे, जिससे शकीरा अकेलापन महसूस करने लगीं। इसी दौरान उनकी ज़िंदगी में मुरली मनोहर आया, जिसने बाद में खुद को 'स्वामी श्रद्धानंद' बताया।
शकीरा बेटे की चाहत में मुरली के करीब आईं और 1986 में दोनों ने विवाह किया। लेकिन यह रिश्ता प्यार से नहीं, बल्कि लालच से जुड़ा था। शकीरा करीब 600 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालिक थीं, और श्रद्धानंद की नजर उसी पर थी। समय के साथ उनका रिश्ता बिगड़ गया और अंततः श्रद्धानंद ने एक खौफनाक योजना बनाई।
28 अप्रैल 1991 को उसने शकीरा को नशीला पदार्थ देकर बेहोश किया, फिर बंगले के कंपाउंड में पहले से तैयार एक ताबूत में डालकर जिंदा दफन कर दिया। वहाँ उसने टाइलें लगवाईं ताकि किसी को शक न हो। इसके बाद उसने सभी को बताया कि शकीरा विदेश चली गई हैं। वह उनके नाम से पत्र भी लिखता रहा और बैंक खातों का संचालन करता रहा, जबकि उसी जगह पर पार्टियां करता रहा जहाँ शकीरा दफन थीं।
हालांकि, उसकी योजना ज्यादा समय तक सफल नहीं रही। शकीरा की बेटी सबीना को हमेशा शक होता रहा। उसने मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस जांच आगे बढ़ी और 1994 में श्रद्धानंद को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान उसने सब कुछ स्वीकार किया। पुलिस ने बंगले में खुदाई कर शकीरा का कंकाल बरामद किया।