क्या तालिबानी विदेश मंत्री का भारत दौरा महत्वपूर्ण है? डिफेंस एक्सपर्ट का बयान

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क्या तालिबानी विदेश मंत्री का भारत दौरा महत्वपूर्ण है? डिफेंस एक्सपर्ट का बयान

सारांश

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी का भारत दौरा एक महत्वपूर्ण घटना है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा अफगानिस्तान-भारत संबंधों में सुधार का संकेत है। जानें इस दौरे का क्या महत्व है और इससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

Key Takeaways

  • तालिबान का भारत दौरा अफगानिस्तान-भारत संबंधों में सुधार का संकेत है।
  • मानवाधिकारों का पालन आवश्यक है।
  • पीओके में लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है।
  • तालिबान को अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
  • भविष्य में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संवाद आवश्यक है।

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्ताकी भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण प्राप्त किया था। यह पहली बार है जब कोई तालिबानी नेता इस धरती पर आ रहा है। इस पर रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) हेमंत महाजन ने इसकी महत्वपूर्णता के बारे में जानकारी दी।

हेमंत महाजन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "संयुक्त राष्ट्र ने मुत्ताकी की विदेश यात्राओं पर पाबंदी लगाई है। वे चाहते हैं कि तालिबान अधिक उदार बने और मानवाधिकारों का पालन करें। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए। हमारे राष्ट्रीय हित भी इसमें शामिल हैं। अफगानिस्तान के साथ हमारे संबंध सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं। जब तालिबान का शासन आया, तब पाकिस्तान बहुत खुश था, क्योंकि उसे लगा कि यह उनकी रणनीतिक गहराई को बढ़ाएगा।"

उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई युद्ध होता है, जैसा कि 1971 में हुआ था, तो भारतीय सेना पाकिस्तान को दो भागों में बांट सकती है; पूरा पाकिस्तान हमारे मिसाइलों और भारतीय वायुसेना की पहुँच में आ सकता है, जिससे पाकिस्तान की वायुसेना को भारी नुकसान होगा। इसलिए पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान के एयरफील्ड्स पर उसे लैंडिंग की अनुमति मिले, ताकि वह भारतीय वायुसेना के हमलों से सुरक्षित रह सके, लेकिन तालिबान इस पर सहमत नहीं है। तहरीक-ए-तालिबान नामक एक समूह यह चाहता है कि पाकिस्तान का एक क्षेत्र, जिसे खैबर-पख्तूनवा कहा जाता है, अफगानिस्तान में शामिल हो जाए। यह समूह पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रहा है।

हाल ही में पीओके में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लोगों का गुस्सा देखने को मिला। लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस पर हेमंत महाजन ने कहा कि पीओके में हिंसा बढ़ रही है और अवामी एक्शन इसकी अगुवाई कर रहा है। उनकी 36 मांगें हैं, जिनमें से चार प्रमुख हैं। पहली मांग यह है कि पीओके विधानसभा में जो सीटें दी गई हैं, जो रिफ्यूजी भारत से पीओके में गए हैं, वह कम होनी चाहिए।

उन्होंने बताया, "दूसरी मांग है कि पीओके की सीटों पर अधिक नियंत्रण पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार का होता है। तीसरी मांग यह है कि वहां के प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उन्हें नहीं मिलता, बल्कि वह पाकिस्तान पंजाब ले जाता है। चौथी बड़ी मांग यह है कि वे विकास चाहते हैं। वे देख रहे हैं कि भारत के कश्मीर में कितना अच्छा विकास हुआ है। विकास इतना अधिक है कि आज भारतीय कश्मीर की जनसंख्या लगभग दो करोड़ है और वहां ढाई करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए हैं। पीओके में न तो कोई पर्यटक आता है, न विकास होता है, न कोई रेलवे लाइन है, न कोई रास्ते हैं। इसका मतलब यह है कि पीओके एक स्टोन एज वाला क्षेत्र है। वे भारत के कश्मीर की तरह विकास चाहते हैं।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में सुधार हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक है। हमें मानवाधिकारों का पालन करने के लिए तालिबान पर दबाव बनाने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

तालिबानी विदेश मंत्री का भारत दौरा क्यों महत्वपूर्ण है?
यह दौरा अफगानिस्तान-भारत संबंधों में सुधार का संकेत है और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या तालिबान मानवाधिकारों का पालन करेगा?
संयुक्त राष्ट्र के दबाव के चलते तालिबान को मानवाधिकारों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
पीओके में लोग क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं?
लोग अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें विकास और संसाधनों के उचित वितरण की मांग शामिल है।
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