क्या तमिलनाडु सरकार ने कार्तिगई दीपम मुद्दे पर कोर्ट के आदेश को चुनौती दी?

Click to start listening
क्या तमिलनाडु सरकार ने कार्तिगई दीपम मुद्दे पर कोर्ट के आदेश को चुनौती दी?

सारांश

तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि यह आदेश जस्टिस स्वामीनाथन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया है। जानिए इस विवाद की पूरी कहानी और इससे जुड़े राजनीतिक पहलुओं को।

Key Takeaways

  • तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
  • जस्टिस स्वामीनाथन का आदेश विवादास्पद है।
  • सुरक्षा बल की तैनाती को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
  • सामाजिक स्थिरता पर इस मामले का असर पड़ सकता है।
  • धारा 144 लागू होने के बाद कई गिरफ्तारियां हुईं।

मदुरै, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु की सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के आदेश को चुनौती दी है। सरकार ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि जस्टिस स्वामीनाथन ने थिरुपरनकुंद्रम हिल पर सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों की उपस्थिति में कार्तिगई दीपम जलाने का आदेश अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया है।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक याचिका दायर की गई जिसमें पहाड़ी के लैंप पोस्ट पर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति मांगी गई थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान, जज ने निर्देश दिया कि महा दीपम पहाड़ी की चोटी पर जलाया जाए और मंदिर प्रशासन से इंतजाम करने को कहा। हालांकि, बुधवार सुबह प्रारंभिक तैयारियां की गई थीं, लेकिन मंदिर अधिकारियों ने अचानक इंतजाम रद्द कर दिए।

इस पर हिंदू मक्कल काची, अखिल भारत हनुमान सेना, साउथ इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और अन्य संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। याचिकाकर्ता के आग्रह अनुसार लैंप पोस्ट पर दीया जलाने की मांग करते हुए मार्च किया गया।

हालांकि, मंदिर की परंपरा के अनुसार, शाम 6 बजे पहाड़ी की चोटी पर उच्चिपिल्लैयार मंदिर के पास दीपम जलाया गया, लैंप पोस्ट पर नहीं। इससे असंतुष्ट होकर, याचिकाकर्ता और अन्य ने अनुरोध किया कि सीआईएसएफ की उपस्थिति में कार्य सम्पन्न कराया जाए।

इसके बाद जस्टिस स्वामीनाथन ने उन्हें सुरक्षा बल के साथ मौके पर जाने की अनुमति देते हुए एक आदेश पारित किया।

कथित तौर पर बुधवार शाम को स्थिति तनावपूर्ण हो गई। भाजपा और हिंदू संगठन के सदस्यों ने 16 फुट हॉल के पास नारे लगाए और बैरिकेड तोड़कर पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने दखल दिया, जिससे झड़प हुई और दो पुलिसवाले घायल हो गए।

बिगड़ते हालात को देखते हुए, जिला कलेक्टर प्रवीण कुमार ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी। कई प्रदर्शनकारियों को पाबंदियों का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार किया गया। बाद में कुछ समूहों ने रास्ते पर कपूर जलाया और जाने से पहले पूजा-पाठ किया।

राज्य सरकार ने तुरंत मदुरै बेंच के प्रशासनिक जज, जस्टिस जयचंद्रन, से संपर्क किया और एकल जज के ऑर्डर को सस्पेंड कर पलटने की मांग की।

अतिरिक्त मुख्य लोक अभियोजक ने तर्क किया कि जज के पास सीआईएसएफ की तैनाती को लेकर आदेश देने का अधिकार नहीं था। इस औद्योगिक बल को यहां सार्वजनिक आदेश बनाए रखने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ हाई कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया है।

राज्य ने आगे कहा कि इस आदेश से थिरुपरनकुंद्रम में सांप्रदायिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था पर सीधा असर पड़ा। साथ ही, कलेक्टर ने याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक और याचिका डाली।

दोनों मामलों को जस्टिस जयचंद्रन और रामकृष्णन ने दिन के पहले केस के तौर पर लिया। राज्य ने तर्क दिया कि मंदिर प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई उन्हें सुने बिना नहीं की जा सकती, और अवमानना की कार्रवाई से केस फाइल करने के उसी दिन तुरंत सजा नहीं हो सकती।

राज्य ने कोर्ट से सिंगल जज के निर्देशों को रद्द करने की अपील यह कहते हुए की कि वे न्यायिक अधिकार से बाहर थे और इससे इलाके में तनाव बढ़ गया था।

Point of View

बल्कि इससे राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है। राष्ट्रीय दृष्टिकोण से, यह आवश्यक है कि सभी पक्ष शांतिपूर्ण और संवादात्मक तरीके से स्थिति को संभालें।
NationPress
07/12/2025

Frequently Asked Questions

तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट के आदेश को क्यों चुनौती दी?
सरकार का कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया है।
क्या विवाद का मुख्य कारण है?
मुख्य कारण पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति है।
क्या इस आदेश से सामाजिक स्थिति प्रभावित होगी?
हां, इससे सांप्रदायिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
क्या पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया?
जी हां, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप किया।
क्या सरकार का तर्क मजबूत है?
सरकार का तर्क है कि जज के पास सुरक्षा बल की तैनाती का अधिकार नहीं था।
Nation Press