क्या तमिलनाडु में वेप्पंथट्टई में लगातार बारिश से मक्के की फसल बर्बाद हो गई?

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क्या तमिलनाडु में वेप्पंथट्टई में लगातार बारिश से मक्के की फसल बर्बाद हो गई?

सारांश

तमिलनाडु के पेरम्बलूर जिले में लगातार बारिश ने मक्के की फसल को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं। क्या सरकार उनकी मदद करेगी?

Key Takeaways

  • लगातार बारिश से मक्के की फसल को गंभीर नुकसान हुआ है।
  • किसानों ने मुआवजे की मांग की है।
  • कृषि विभाग ने क्षेत्रीय निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की है।
  • इस वर्ष अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन बारिश ने स्थिति को बदल दिया।
  • किसानों का प्रति एकड़ खर्च 25,000 रुपए है।

पेरम्बलूर, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के पेरम्बलूर जिले के सबसे बड़े मक्का उत्पादक क्षेत्र वेप्पंथट्टई ब्लॉक में लगातार बारिश के कारण सैकड़ों हेक्टेयर में खड़ी मक्के की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे किसान गहरे संकट में हैं। उन्होंने फसल के नुकसान का त्वरित आकलन करने और मुआवजे की मांग की है।

इस वर्ष, पेरम्बलूर जिले में लगभग 75,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की खेती की गई थी, जिसमें से लगभग 45,000 हेक्टेयर फसल बीमा के दायरे में लाए गए थे। बुवाई का कार्य तमिल महीने आदि (मध्य जुलाई) और पुरत्तासी (मध्य सितंबर) के बीच शुरू हुआ था। पहले बोई गई फसल अधिकांशतः पक चुकी थी, जिससे अच्छी उपज की उम्मीद थी। हालांकि, पिछले एक महीने से लगातार बारिश ने स्थिति को नकारात्मक रूप से बदल दिया है।

पूरे मानसून में सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद, हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचाया है। बारिश के कारण मक्के के पौधे गीली मिट्टी में झुक गए और गिर गए हैं।

पानी से भरे खेत अब मशीनों द्वारा कटाई के लिए अनुपयुक्त हो गए हैं, जिससे किसानों की समस्याएं और बढ़ गई हैं।

किसानों का अनुमान है कि कृष्णापुरम, अन्नामंगलम, अरुम्बावुर, थलुतलाई, विश्वकुडी, थोंडामंडुरई और अरसलूर जैसे कई गांवों में 1,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खड़ी मक्के की फसल पहले ही खराब हो चुकी है।

कई किसानों ने कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर शिकायतें दर्ज कराई हैं। साथ ही, नुकसान का आकलन करने के लिए तुरंत खेतों का निरीक्षण करने का आग्रह किया है। जिन किसानों ने इस मौसम में खेती में बहुत अधिक निवेश किया था, उनके लिए नुकसान बहुत अधिक है।

बीज, खाद, मजदूरी, और सिंचाई लागत में लगातार बढ़ोतरी के कारण कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति एकड़ लगभग 25,000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सामान्य पैदावार की उम्मीद अब भारी कमी के डर में बदल गई है।

कई खेतों में पैदावार सामान्य फसल के आधे से भी कम होने की आशंका है, जबकि बुरी तरह प्रभावित इलाकों में सुधार की संभावना बहुत कम है।

कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वेप्पंथट्टई ब्लॉक के कई गांवों से शिकायतें प्राप्त हुई हैं। कुछ क्षेत्रों में खेतों का निरीक्षण पहले ही शुरू हो चुका है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में विस्तृत आकलन किया जाएगा।

निष्कर्षों के आधार पर मुआवजे और फसल बीमा दावों के संबंध में आगे की कार्रवाई की उम्मीद है। चूंकि अनिश्चित मौसम की स्थिति अन्य खड़ी फसलों के लिए खतरा बनी हुई है, किसान अधिकारियों से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं ताकि आगे के नुकसान को कम किया जा सके और समय पर राहत प्रदान की जा सके।

Point of View

और हर संभव मदद पहुंचाना जरूरी है। सरकार को तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या किसानों को मुआवजा मिलेगा?
हां, कृषि विभाग ने नुकसान का आकलन करने का आश्वासन दिया है, जिससे मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो सके।
बारिश से कितने हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है?
लगभग 1,000 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है।
किसानों को खेती में कितना खर्च होता है?
किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति एकड़ लगभग 25,000 रुपए का खर्च आता है।
क्या इस वर्ष फसल की अच्छी पैदावार की उम्मीद थी?
हां, पहले बोई गई फसल पक चुकी थी, जिससे अच्छी पैदावार की उम्मीद थी।
किसान इस स्थिति में क्या कर सकते हैं?
किसान कृषि विभाग से संपर्क कर नुकसान का आकलन कराने का प्रयास कर सकते हैं।
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