क्या बिहार चुनाव में तेघरा सीट पर सीपीआई का ऐतिहासिक दबदबा बना रहेगा?

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क्या बिहार चुनाव में तेघरा सीट पर सीपीआई का ऐतिहासिक दबदबा बना रहेगा?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव में बेगूसराय का तेघरा सीट सीपीआई के लिए महत्वपूर्ण गढ़ है। क्या इस बार भी पार्टी अपनी ऐतिहासिक जीत को दोहरा पाएगी? इसके चुनावी इतिहास और स्थानीय मुद्दों पर एक नज़र।

Key Takeaways

  • तेघरा सीट पर सीपीआई का ऐतिहासिक दबदबा है।
  • 2020 में सीपीआई ने जेडीयू को हराया था।
  • स्थानीय मुद्दों में बाढ़ और कृषि संकट प्रमुख हैं।
  • इस बार के चुनाव में उच्च मतदान प्रतिशत की उम्मीद है।
  • तेघरा की जनसंख्या लगभग 4,96,245 है।

बेगूसराय, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल बेहद गर्म है। इस बार सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच हर सीट के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिल रहा है। ऐसे में बेगूसराय का तेघरा विधानसभा सीट का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, जो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का एक पुराना गढ़ माना जाता है।

तेघरा, जो बेगूसराय का एक महत्वपूर्ण उपमंडल है, चुनावी इतिहास के लिहाज से बहुत रोचक है। 1951 में स्थापित यह विधानसभा क्षेत्र 1967 तक तेघरा के नाम से जाना जाता रहा। इसके बाद इसे बरौनी के नाम से जाना गया और 2008 के परिसीमन आयोग के निर्णय के बाद फिर से तेघरा नाम वापस आया।

कुल 15 चुनावों में, तेघरा नाम से छह बार और बरौनी नाम से नौ बार मतदान हुआ। इस सीट पर सीपीआई का प्रभुत्व लगातार बना रहा। बिहार और देश के अन्य हिस्सों में सीपीआई का जनाधार कमज़ोर होने के बावजूद, यह क्षेत्र पार्टी के मजबूत गढ़ों में शामिल है।

'बरौनी' अवधि के सभी नौ चुनावों में, सीपीआई ने जीत प्राप्त की। 1962 से शुरू हुआ यह सिलसिला 2005 तक जारी रहा, जब पार्टी ने लगातार 10वीं जीत दर्ज की। इससे पहले 1952 और 1957 में कांग्रेस ने इस पर कब्जा किया था। 2008 के परिसीमन के बाद क्षेत्रीय बदलावों ने सीपीआई की स्थिति को चुनौती दी। 2010 में भाजपा ने यह सीट जीती, जबकि 2015 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जीत हासिल की। उस चुनाव में सीपीआई तीसरे स्थान पर रही। लेकिन 2020 में महागठबंधन के अंतर्गत सीपीआई को यह सीट मिली और पार्टी ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उम्मीदवार को 47,979 वोटों के भारी अंतर से हराकर 11वीं बार इतिहास रचा।

तेघरा विधानसभा के प्रमुख मुद्दों में बाढ़ नियंत्रण, कृषि संकट और प्रवासन शामिल हैं। 2020 में 63 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था, जो इस बार भी उम्मीद जगाता है। भौगोलिक रूप से तेघरा बूढ़ी गंडक नदी के किनारे स्थित है, जबकि गंगा नदी निकट में बहती है। बरौनी औद्योगिक नगर से मात्र 6 किलोमीटर दूर होने के बावजूद, यहां की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है।

तेघरा विधानसभा की कुल जनसंख्या 4,96,245 है, जिसमें 2,62,488 पुरुष और 2,33,757 महिलाएं शामिल हैं। मतदाता सूची में कुल 3,05,595 नाम दर्ज हैं, जिनमें 1,60,366 पुरुष, 1,45,217 महिलाएं और 12 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। यह आंकड़ा विशेष गहन संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के बाद तैयार किया गया है, जो 2003 के बाद पहली बार हुआ।

Point of View

बल्कि देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। सीपीआई का ऐतिहासिक दबदबा इस सीट को एक महत्वपूर्ण गढ़ बनाता है। हालांकि, नए राजनीतिक समीकरण और स्थानीय मुद्दे इसे चुनौती दे सकते हैं। इस बार के चुनाव में परिणाम न केवल बिहार की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके परिणाम होंगे।
NationPress
12/10/2025

Frequently Asked Questions

तेघरा सीट का चुनावी इतिहास क्या है?
तेघरा विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास 1951 से शुरू होता है। इस सीट पर सीपीआई का दबदबा लगातार बना रहा है, हालांकि 2008 के परिसीमन ने इसे चुनौती दी।
तेघरा में प्रमुख स्थानीय मुद्दे क्या हैं?
तेघरा विधानसभा में प्रमुख मुद्दों में बाढ़ नियंत्रण, कृषि संकट और प्रवासन शामिल हैं।