क्या तेजस्वी यादव ने हार स्वीकार कर ली है? चुनाव का बायकॉट एक बहाना है: नितिन नवीन

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का चुनाव बहिष्कार बयान बिहार की राजनीति में हलचल मचा रहा है।
- नितिन नवीन ने कहा कि यह हार स्वीकार करने का एक बहाना है।
- लोकतंत्र में भाग लेना जनता का अधिकार है।
- बिहार के अवैध मतदाताओं को रोकने का प्रयास जारी है।
- नीतीश कुमार सभी पहलुओं का ध्यान रखते हैं।
पटना, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के 'चुनाव बहिष्कार' संबंधी बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। राजद नेता, जो पहले से ही वोटर वेरिफिकेशन के मुद्दे पर चुनाव आयोग को घेरने का प्रयास कर रहे थे, अब चुनाव से दूरी बनाने का संकेत दे रहे हैं। उनके बयान पर बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले ही तेजस्वी यादव ने हार स्वीकार कर ली है, बायकॉट तो बस एक बहाना है।
गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव का यह बयान दर्शाता है कि उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। अपनी हताशा में वे अपनी हार को स्वीकार कर चुके हैं और इसका दोष चुनाव आयोग पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लेना या न लेना उनकी व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन जनता तो चुनाव में भाग लेगी।
नितिन नवीन ने यह भी कहा कि बिहार के मतदाताओं को वोट देने का अधिकार है और जो अवैध रूप से बिहार में मतदाता बने हैं, उन्हें रोकने का प्रयास जारी है। हम किसी भी हाल में बिहार के लोगों का अधिकार रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को नहीं लेने देंगे। मुस्लिम समाज के लोगों को यहां कोई समस्या नहीं है। यदि तेजस्वी यादव को अवैध लोगों से सहानुभूति है और इसीलिए वे चुनाव में भाग नहीं लेंगे, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के इस तरह के बयान से कुछ बदलने वाला नहीं है। कानून अपने अनुसार चलेगा। तेजस्वी यदि चुनाव से दूरी बनाते हैं, तो यह उनकी व्यक्तिगत समस्या है। कई अन्य दल चुनाव में भाग लेंगे। तेजस्वी हार मान चुके हैं क्योंकि उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। इसलिए, हार का ठीकरा फोड़ने के लिए चुनाव से दूरी बनाने का बयान देकर खुद को तसल्ली दे रहे हैं।
नितिन नवीन ने कहा कि तेजस्वी यादव कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान नहीं रखते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी पहलुओं का ध्यान रखते हैं। नीतीश कुमार विचार-विमर्श कर निर्णय लेते हैं। तेजस्वी और राजद को यह पता है कि जमीनी स्तर पर उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा।