क्या महाराष्ट्र में भाषा का मुद्दा ठाकरे परिवार की राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश है?

सारांश
Key Takeaways
- ठाकरे परिवार का भाषा विवाद के जरिए राजनीति में वापसी का प्रयास।
- सीपी सिंह का राजनीतिक विश्लेषण और वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी।
- भाषा विवाद का सामाजिक एकता पर प्रभाव।
रांची, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा है कि महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से भाषा विवाद को हवा दे रहा है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सीपी सिंह ने कहा कि राज ठाकरे ने निशिकांत दुबे को धमकी दी है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर गया है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। कोई भी व्यक्ति भारत के किसी भी हिस्से में जा सकता है, रह सकता है और रोजी-रोजगार कर सकता है। यह अनिवार्य नहीं है कि महाराष्ट्र में रहने वाला हर व्यक्ति मराठी जानता हो। बहुत से सरकारी कर्मचारियों का ट्रांसफर महाराष्ट्र में होता है, तो क्या वे मराठी सीखेंगे? क्या कोई मराठी व्यक्ति यहाँ आएगा तो उसे हिंदी सीखने के लिए कहा जाएगा? यह बिल्कुल गलत है। भाषा विवाद जानबूझकर खोई राजनीतिक जमीन को वापस पाने का ठाकरे परिवार का एक असफल प्रयास है।
सीपी सिंह ने कहा कि बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र के लिए संघर्ष किया और उनका दबदबा भी रहा। लेकिन उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने पिता के विचारों को छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया। आज की स्थिति में उद्धव ठाकरे की शिवसेना सिकुड़ गई है और आगामी चुनाव में मुंबई महानगरपालिका से भी उनका अस्तित्व समाप्त होगा।
सीपी सिंह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अर्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति से संबंधित बकाए पर मांगी गई छूट पर भी अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बलों को प्रतिनियुक्ति पर देती है। इसका खर्च स्वाभाविक रूप से राज्य सरकार को उठाना पड़ता है। यदि राज्य सरकार खर्च नहीं दे सकती तो अपनी पुलिस को सशक्त बनाना चाहिए। केंद्र सरकार यदि सभी राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति पर हुए खर्च को माफ करती रहेगी, तो देश का आर्थिक विकास प्रभावित होगा। बड़ी योजनाओं के लिए पैसे कहाँ से आएंगे।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान अर्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र के बकाए 13,299 करोड़ रुपए को माफ करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है।