क्या त्रिपुरा के डीजीपी से टीएमसी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात पर राजनीतिक तनाव बढ़ेगा?

सारांश
Key Takeaways
- त्रिपुरा में टीएमसी के कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना हुई।
- टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से मुलाकात की।
- प्रतिनिधिमंडल ने गिरफ्तारी की मांग की।
- राजनीतिक तनाव में वृद्धि हो रही है।
- टीएमसी ने प्राथमिकी दर्ज करने की योजना बनाई।
अगरतला, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रदेश कार्यालय में हुई कथित तोड़फोड़ की घटना के बाद एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को कोलकाता से अगरतला पहुंचा। इस दौरान टीएससी प्रतिनिधिमंडल ने त्रिपुरा के पुलिस महानिदेशक अनुराग धनखड़ से मुलाकात की।
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के तीन सांसदों और एक मंत्री सहित छह सदस्यीय तृणमूल कांग्रेस दल ने पुलिस मुख्यालय में त्रिपुरा के पुलिस महानिदेशक अनुराग धनखड़ से चर्चा की।
टीएमसी के प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान अगरतला में अपने कार्यालय में भाजपा समर्थकों द्वारा की गई तोड़फोड़ की शिकायत की। उन्होंने तोड़फोड़ में शामिल व्यक्तियों की गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने उल्लेख किया कि उस समय एक विधायक सहित दो भाजपा नेता वहां उपस्थित थे। गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस जिले के पुलिस अधीक्षक के पास एक प्राथमिकी दर्ज कराएगी।
प्रतिनिधिमंडल में सांसद प्रतिमा मंडल, सुष्मिता देव, सयानी घोष, पश्चिम बंगाल की मंत्री बीरभाह हंसदा, और पार्टी नेता कुणाल घोष और सुदीप राहा शामिल हैं। दो दिनों की यात्रा में सांसद पार्टी कार्यालय का निरीक्षण करेंगे, सहकर्मियों से मिलेंगे और राज्य प्रशासन के साथ बातचीत करेंगे।
इससे पहले प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया, "हमारे प्रतिनिधिमंडल को जानबूझकर हमारे ही पार्टी कार्यालय में जाने से रोका जा रहा है, चार में से तीन गाड़ियां निकाल ली गई हैं और भाजपा के गुंडे स्थानीय विक्रेताओं को धमका रहे हैं ताकि सहयोग न मिले। यह इतिहास खुद को दोहरा रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में, हमें त्रिपुरा में कार्यालय के लिए जगह तक नहीं दी गई थी।"
प्रतिनिधिमंडल ने आगे कहा, "एक लंबी और कड़ी लड़ाई के बाद, आखिरकार अगरतला में हमारा पार्टी कार्यालय स्थापित हो पाया। अब उस कार्यालय में तोड़फोड़ करना सरासर राजनीतिक आतंकवाद है, जो कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शपथ लेने वालों की निगरानी में किया जा रहा है। हम त्रिपुरा में अपने कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं। कोई धमकी और कोई राजनीतिक गुंडागर्दी हमें चुप नहीं करा पाएगी। जो लोग मानते हैं कि हिंसा लोकतंत्र को दबा सकती है, वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं।"