क्या सरकार ने किसानों के संकट को नजरअंदाज किया है? : संजय मोरे

सारांश
Key Takeaways
- किसानों की स्थिति गंभीर है।
- सरकार का ध्यान आवश्यक है।
- आर्थिक सहायता की मांग है।
- कर्ज माफी की जरूरत है।
- किसानों का न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
मुंबई, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय मोरे ने महाराष्ट्र सरकार पर कठोर प्रहार करते हुए कहा कि राज्य के बाढ़ से प्रभावित किसानों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, लेकिन सरकार उनकी मदद करने के लिए कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है। मोरे ने यह भी आरोप लगाया कि किसानों की मेहनत से सत्ता में आई यह सरकार, संकट के समय में उन्हीं किसानों को अकेला छोड़ चुकी है।
उन्होंने कहा कि किसानों के खेत बर्बाद हो चुके हैं, पशुधन बह गए हैं, घरों को नुकसान पहुँचा है और जो गाय-बैल उनकी खेती में मदद करते थे, वे भी मृत हो चुके हैं। किसानों का पूरा जीवन बर्बाद हो गया है, फिर भी राज्य और केंद्र सरकार दोनों चुप्पी साधे हुए हैं। क्या उनके पास किसानों की मदद के लिए धन नहीं है?
मोरे ने कहा कि बाढ़ के कारण हजारों किसान गंभीर संकट में हैं, लेकिन सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसानों के खातों में मदद भेजने की बजाय अपने नाम और तस्वीरें अखबारों में छपवाने में अधिक रुचि रखती है।
संजय मोरे ने यह भी बताया कि जब महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में सहायता राशि भेजकर मदद की थी।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब उद्धव ठाकरे किसानों तक सीधी राहत पहुंचा सकते हैं, तो देवेंद्र फडणवीस सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती?
शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने सरकार से यह मांग की कि किसानों को उनके नुकसान का सही मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता सीधे किसानों के खातों में जमा करनी चाहिए। साथ ही, किसानों पर जो कर्ज का बोझ है, उसे माफ किया जाना चाहिए।
मोरे ने कहा कि आज किसानों को केवल राहत की नहीं, बल्कि न्याय की भी आवश्यकता है। किसानों को उनका हक मिलना चाहिए। उनका घर, उनका खेत और उनका पशुधन वापस पाने का अधिकार है। जब तक सरकार किसानों की पीड़ा को नहीं समझेगी, तब तक महाराष्ट्र के गांवों में विकास की बात अधूरी ही रहेगी।