क्या तुलसी माला तन और मन दोनों को शुद्ध रखती है? जानें पहनने के नियम और चमत्कारिक लाभ
सारांश
Key Takeaways
- तुलसी को पवित्र माना जाता है।
- तुलसी की माला पहनने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ के लिए तुलसी की माला का उपयोग करें।
- गुरुवार को पहनने से लाभ दोगुना होता है।
- तुलसी की पहचान के लिए पानी में भिगोएं।
नई दिल्ली, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यधिक पवित्र माना गया है। घर में तुलसी का पौधा हो या गले में तुलसी की माला, दोनों ही शुभता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान विष्णु ने शालिग्राम का रूप इसलिए धारण किया ताकि वे तुलसी के चरणों के पास रह सकें। इसीलिए तुलसी को रमाप्रिया कहा जाता है और वह खुद को भगवान की सेविका मानती हैं।
चाहे तुलसी हरी हो या सूखी, इसकी शक्ति कभी समाप्त नहीं होती। इसमें ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर और पर्यावरण दोनों को शुद्ध करते हैं। इसके पौधे में प्राकृतिक औषधीय गुणों का भंडार होता है और आयुर्वेद में इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है।
हिंदू परिवारों में तुलसी की पूजा इसलिए की जाती है ताकि घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे। इसी प्रकार तुलसी की माला पहनना भी अत्यंत शुभ माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, तुलसी की माला पहनने से बुध और गुरु ग्रह मजबूत होते हैं, जिससे बुद्धि, ज्ञान, यश और समृद्धि बढ़ती है। भगवान विष्णु और कृष्ण के भक्त अक्सर तुलसी की माला धारण करते हैं क्योंकि यह मन और आत्मा को पवित्र बनाती है।
कई लोग मानते हैं कि यह माला पहनने से सिरदर्द, जुकाम और त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है, क्योंकि तुलसी के बीज और लकड़ी में प्राकृतिक औषधीय गुण होते हैं।
हालांकि, तुलसी की माला पहनते समय कुछ नियमों का पालन करना भी आवश्यक है। कहा जाता है कि इसे पहनने से पहले गंगाजल से शुद्ध करके धूप दिखानी चाहिए और भगवान श्रीहरि की स्तुति करनी चाहिए। जो व्यक्ति तुलसी की माला पहनता है, उसे लहसुन-प्याज, मांस और मदिरा से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह तुलसी की पवित्रता के विपरीत माना जाता है।
तुलसी की माला किसी भी दिन पहनी जा सकती है, लेकिन अगर इसे गुरुवार के दिन और शुभ मुहूर्त में धारण किया जाए तो इसका फल दोगुना माना जाता है। बाजार में तुलसी की माला आसानी से मिलती है, परंतु असली और नकली में फर्क करना आवश्यक है। इसकी पहचान सरल है। अगर माला को ३० मिनट पानी में भिगोने पर उसका रंग न निकले, तो यह असली तुलसी की बनी है।
तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: श्यामा तुलसी, जो गहरे श्याम रंग की होती है, और रामा तुलसी, जो हल्के भूरे या हरे रंग में होती है। दोनों प्रकार की तुलसी की माला जप और पूजा में उपयोगी होती है।