क्या सीबीआई ने यूएई में पत्नी की हत्या के मामले में 12 साल से फरार आरोपी को गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने 12 साल से फरार आरोपी को गिरफ्तार किया।
- सत्तार खान ने 2013 में यूएई में पत्नी की हत्या की थी।
- अदालत में ट्रांज़िट रिमांड पर भेजा गया।
- सीबीआई की तकनीकी निगरानी की मदद से गिरफ्तारी हुई।
- मामले की आगे की जांच जारी है।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई ने यूएई में पत्नी की हत्या के मामले में 12 वर्षों से फरार चल रहे आरोपी को पकड़ने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 13 अक्टूबर को सीबीआई ने आरोपी सत्तार खान को हैदराबाद से गिरफ्तार किया। आरोपी की उम्र लगभग 52 वर्ष है और वह पेशे से एक ड्राइवर है।
सत्तार खान पर आरोप है कि उसने 2013 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अपनी पत्नी की हत्या की थी और इसके बाद भारत भाग आया था।
सीबीआई ने इस मामले में यूएई अधिकारियों के अनुरोध पर अप्रैल 2022 में भारत में एक मामला दर्ज किया था। जांच में पता चला कि 14 नवंबर 2013 को सत्तार खान ने यूएई में अपनी पत्नी की हत्या की थी, जहाँ वह ड्राइवर के रूप में कार्यरत था। घटना के बाद वह भारत लौट आया और तब से फरार था।
सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था, लेकिन वह लंबे समय तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहा। जांच के दौरान एजेंसी को सत्तार खान का एक और पासपोर्ट मिला, जिसके आधार पर नया लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया।
तकनीकी निगरानी और मानव-सूचना के आधार पर सीबीआई टीम को पता चला कि सत्तार खान तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में छिपा हुआ है। एजेंसी की एक विशेष टीम वहां उसकी तलाश में डेरा डाले हुए थी। इस बीच सत्तार खान ने हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से दोहा भागने की कोशिश की, लेकिन सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को हैदराबाद की स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे नई दिल्ली स्थित न्यायालय में पेश करने के लिए ट्रांजिट रिमांड पर भेजा गया है। सीबीआई ने कहा कि मामले की आगे की जांच जारी है।
इससे पहले, सीबीआई ने डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड मामले की जांच के तहत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-5 के तहत की गई है। सीबीआई की ओर से जारी बयान के अनुसार, एक आरोपी को केरल से और दो आरोपियों को गुजरात से गिरफ्तार किया गया है।
एजेंसी ने बताया कि इन गिरफ्तारियों से पहले महत्वपूर्ण डिजिटल और दस्तावेजी साक्ष्य बरामद किए गए, जिन्होंने इन आरोपियों की षड्यंत्र में सक्रिय भूमिका को उजागर किया। जांच में यह सामने आया कि ये आरोपी देश के भीतर वित्तीय चैनलों और अन्य सहयोगात्मक नेटवर्क के माध्यम से विदेशों में बैठे साइबर अपराधियों की मदद कर रहे थे।