क्या जन सुरक्षा विधेयक का नाम बदलकर भाजपा सुरक्षा बिल कर देना चाहिए? : उद्धव ठाकरे

सारांश
Key Takeaways
- जन सुरक्षा विधेयक में दहशतवाद का उल्लेख नहीं है।
- उद्धव ठाकरे का मानना है कि इसे भाजपा सुरक्षा बिल कहा जाना चाहिए।
- इस विधेयक का उद्देश्य जनहित में होना चाहिए।
मुंबई, ११ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा विशेष जन सुरक्षा विधेयक पारित किया गया है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए इस बिल को भयानक बताया।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि जन सुरक्षा बिल को गुरुवार को प्रस्तुत किया गया और बहुमत के आधार पर इसे पारित किया गया, लेकिन इसका दुरुपयोग किया गया। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद को समाप्त करना है, लेकिन इसका कहीं भी उल्लेख नहीं है। जब हम भाजपा के साथ थे, तब हमें राइटिस्ट विचारधारा का कहा जाता था, जोकि हम हैं। मोदी ने कहा था 'सबका साथ, सबका विकास'। यह राइट विंग वाली सोच है या लेफ्ट विंग वाली, यह स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस बिल में कहीं भी दहशतवाद और आतंकवाद का उल्लेख नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि इसे कभी भी आम जनता को जेल में डालने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पहले जब टाडा कानून था, ठीक उसी तरह यह जन सुरक्षा कानून है। मुझे लगता है कि इसका नाम जन सुरक्षा बिल से बदलकर भाजपा सुरक्षा बिल कर देना चाहिए, क्योंकि भाजपा के खिलाफ जो बोलेगा, उसे वे देशद्रोही मानते हैं। इसलिए हमने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करेंगे, लेकिन आप पहले इसमें दो-तीन शब्दों का संशोधन करें। पहले आप इस बिल में नक्सलवाद और देशद्रोही जैसे शब्दों का उल्लेख करें, उसके बाद फिर से बिल लाइए, हम उसका समर्थन करेंगे।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश के गृह मंत्री ने कहा है कि हम नक्सलवाद को जल्द समाप्त कर देंगे, लेकिन इस कानून को लाने से पहले ही महाराष्ट्र पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने नक्सलवाद को खत्म कर दिया है या समाप्त करने के कगार पर हैं। जब ऐसी स्थिति है, तो यह कानून किसके लिए लाया जा रहा है? आप देश में माओवादी विचारधारा के लोगों को ढूंढिए, हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन माओवादी सबसे ज्यादा चीन में हैं।
उन्होंने कहा कि यदि किसी के साथ अन्याय हुआ तो हम जमीन पर उतरेंगे। यह एक भयानक बिल है, जिससे लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है। हम राज्यपाल को पत्र लिखकर इस बिल को रद्द करने की मांग करेंगे।