क्या आरोप लगाने से पहले उद्धव ठाकरे को आईने में चेहरा देखना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे और राम कदम के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति।
- देवेंद्र फडणवीस का नेतृत्व और जनता का समर्थन।
- राजनीतिक विवादों का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर।
- भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना।
- जन सुरक्षा बिल पर विपक्ष की स्थिति।
मुंबई, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र 'सामना' को दिए इंटरव्यू में चुनाव आयोग के साथ भाजपा पर बड़ा हमला बोला। उद्धव ठाकरे के इस इंटरव्यू पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता राम कदम ने प्रतिक्रिया दी है।
राम कदम ने कहा कि महाराष्ट्र में 'ठाकरे ब्रांड' को समाप्त करने का आरोप लगाना पहले अपने चेहरे को आईने में देखने जैसा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें महाराष्ट्र के लोग सम्मान देते हैं और 'देवा भाऊ' मानते हैं। उद्धव ठाकरे को इस बात की चिंता क्यों है? जब कोई व्यक्ति संकट के समय में मदद करता है, तो हम उसे 'मानव रूप में भगवान' मानते हैं। देवेंद्र फडणवीस निस्वार्थ भाव से लोगों के लिए काम करते हैं, अक्सर सुबह 3 बजे तक। महाराष्ट्र उनके नेतृत्व से संतुष्ट है। जब कोई जनता की समस्याओं में उनके साथ खड़ा होता है, तो उसे सम्मान मिलता है। यही 'देवा भाऊ' का अर्थ है।
राम कदम ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे ने स्वयं ही 'ठाकरे ब्रांड' को समाप्त कर दिया है और कांग्रेस की गोद में बैठ गए हैं। बाला साहेब ठाकरे की विचारधारा को उन्होंने छोड़ दिया है, यही कारण है कि 60 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ चले गए और उनके पास कुछ भी नहीं बचा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे बताएं कि उनके घर के दरवाजे किसके लिए खुले रहते थे। कोविड-19
उद्धव ठाकरे के 'बटेंगे-कटेंगे'राम कदम ने कहा कि वे अब हताशा में हैं और स्वयं से सवाल-जवाब कर रहे हैं। जब उनके 8 मंत्री पार्टी छोड़ गए, तब से वे अपना जनाधार खोज रहे हैं। उनकी पार्टी में जो लोग हैं, वे भी छोड़ने की तैयारी में हैं।
उन्होंने कहा कि असली और नकली शिवसेना का फैसला जनता करेगी और विधानसभा चुनाव में यह साबित हो चुका है। उद्धव ठाकरे के उम्मीदवारों के जुलूस में पाकिस्तान
मनसेराज ठाकरे और भाजपानिशिकांत दुबे के बीच बयानबाजी पर उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत मामला है। लेकिन, अगर राज ठाकरे को किसी पर कार्रवाई करनी चाहिए, तो पहले अपने भाई पर करें, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने जबरन हिंदी थोपने की राजनीति की है।
उन्होंने उद्धव ठाकरे को भाजपाभाजपापाकिस्तान
उन्होंने जन सुरक्षा बिल पर विपक्ष के आरोप पर कहा कि पहले चार जिलों में नक्सलवाद फैला हुआ था, अब यह केवल दो तहसीलों में सिमट चुका है। क्या विपक्ष नक्सलवाद को बढ़ावा देना चाहता है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है।