क्या सत्यनगर काली मंदिर में भव्य काली पूजा शुरू हो गई है?
सारांश
Key Takeaways
- भुवनेश्वर का सत्यनगर काली मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- काली पूजा में मां काली के विभिन्न अवतारों की पूजा होती है।
- यह आयोजन वर्षों से स्थानीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है।
- भक्त अपने नक्षत्र के अनुसार पूजा करते हैं।
- यह पूजा सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का माध्यम है।
भुवनेश्वर, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित सत्यनगर काली मंदिर शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी भव्य काली पूजा उत्सव के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें हर वर्ष हजारों श्रद्धालु और स्थानीय निवासी भाग लेते हैं।
इस मंदिर में मां काली के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। भक्त यहां अपने नक्षत्र और राशि के अनुसार दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
सत्यनगर काली मंदिर की कार्यकारिणी समिति के सदस्य पी. सी. गर्णाइक ने बताया कि हर साल यहां काली पूजा का आयोजन अत्यंत भव्य तरीके से किया जाता है। पहले भक्त मां काली की मूर्तियों को अस्थायी रूप से स्थापित करते थे, लेकिन अब मंदिर के स्थायी होने के बाद यह पर्व और भी भव्य हो गया है।
पिछले 45 वर्षों से यहां काली पूजा को अपार श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह आयोजन स्थानीय लोगों के साथ-साथ भुवनेश्वर और ओडिशा के अन्य क्षेत्रों से आए भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण बन चुका है।
इस वर्ष काली पूजा 20 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक चलेगी। इस दौरान हर दिन मां काली के विभिन्न अवतारों की पूजा भक्तों के राशिफल एवं नक्षत्र के अनुसार की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार देवी की पूजा करता है, उसे मां काली का दिव्य आशीर्वाद मिलता है। इसी कारण हजारों श्रद्धालु इन दिनों मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए आते हैं।
भुवनेश्वर और ओडिशा के विभिन्न क्षेत्रों से लोग मां काली के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है।
पी. सी. गर्णाइक ने बताया कि काली पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समुदाय को एकजुट करने, सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने और भक्ति भाव को प्रोत्साहित करने का एक माध्यम भी है।
मंदिर परिसर में पूजा के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिससे भक्तों का अनुभव और भी समृद्ध होता है। मंदिर की भव्य सजावट, दीपों की रोशनी और अनुष्ठानों की भक्ति पूर्ण ध्वनि माहौल को और भी दिव्य बना देती है।