क्या उद्योग प्रोत्साहन योजना को रद्द करना विनाशकारी और असंवैधानिक है: शुभेंदु अधिकारी?
सारांश
Key Takeaways
- उद्योग प्रोत्साहन योजना का रद्द होना राज्य के औद्योगिक विकास के लिए विनाशकारी हो सकता है।
- उद्योगपतियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया है।
- विपक्ष का मानना है कि यह निर्णय असंवैधानिक है।
- सुनवाई नवंबर में होगी।
- राज्य सरकार का यह निर्णय आर्थिक अराजकता का कारण बन सकता है।
कोलकाता, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को कहा कि राज्य में उद्योग प्रोत्साहन योजना को रद्द करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ उद्योगपतियों के एक समूह द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना अनिवार्य था।
यह योजना, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2001-02 में स्थापित किया गया था, का मुख्य उद्देश्य राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देना था।
हालांकि, इस वर्ष मार्च में राज्य सरकार ने एक विधेयक पारित किया, जिसका नाम था पश्चिम बंगाल अनुदान और प्रोत्साहन की प्रकृति में प्रोत्साहन योजनाओं और दायित्वों का निरसन विधेयक 2025, जिसके अंतर्गत मौजूदा उद्योगों को लंबे समय से दिए जा रहे प्रोत्साहन वापस ले लिए गए।
इस सप्ताह के आरंभ में, उद्योगपतियों ने इस निर्णय के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया, उनका मानना था कि राज्य सरकार का निर्णय असंवैधानिक है।
इस मामले में विभिन्न उद्योगपतियों द्वारा दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय नवंबर में करेगा।
बुधवार को विपक्ष के नेता ने इस निर्णय को विनाशकारी और असंवैधानिक बताया।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "भाजपा विधायकों के कड़े विरोध के बावजूद यह विधेयक मार्च 2025 में तृणमूल कांग्रेस के बहुमत के कारण पारित हो गया। तृणमूल कांग्रेस का अहंकार हावी हो गया और उन्होंने बेशर्मी से सभी उद्योग प्रोत्साहनों को खत्म कर दिया।"
उन्होंने यह भी कहा कि उद्योगपतियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख करके सही किया है।
उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल से बचे-खुचे उद्योगों को खदेड़ना एक सोची-समझी भूल है। ममता बनर्जी की सरकार हमारे राज्य को औद्योगिक कब्रिस्तान में बदल रही है। यह उन व्यवसायों के साथ विश्वासघात कर रही है, जिन्होंने पश्चिम बंगाल पर भरोसा किया और हमारे लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया। तृणमूल कांग्रेस निवेशकों को डराने में लगी है और यह सुनिश्चित कर रही है कि हमारे युवा बेरोजगार रहें। यह शासन नहीं, बल्कि आर्थिक अराजकता जैसी स्थिति है।