क्या यूपी के सभी 75 जिलों में आरओ/एआरओ परीक्षा सफलतापूर्वक हुई?

सारांश
Key Takeaways
- परीक्षा के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए।
- अभ्यर्थियों की उपस्थिति में वृद्धि हुई।
- नकलमुक्त परीक्षा प्रणाली को स्थापित किया गया।
- परीक्षा की पारदर्शिता में सुधार हुआ।
- सरकारी भर्ती प्रक्रिया को और मजबूत किया गया।
लखनऊ, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ/एआरओ) परीक्षा-2023 रविवार को प्रदेश के सभी 75 जनपदों में सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक एक पाली में सफलतापूर्वक संपन्न हो गई।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने इस बारे में जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में 10,76,004 अभ्यर्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 4,54,997 (42.29 प्रतिशत) ने भाग लिया। प्रदेश में 2382 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जिनमें कानपुर में सर्वाधिक 139, लखनऊ में 129, प्रयागराज में 106 और वाराणसी में 82 केंद्र शामिल थे।
अयोध्या में सर्वाधिक 52.81 प्रतिशत और रामपुर में सबसे कम 25.78 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। प्रयागराज में 47.61 प्रतिशत, लखनऊ में 48.89 प्रतिशत, कानपुर में 44.37 प्रतिशत और वाराणसी में 49.19 प्रतिशत अभ्यर्थियों की उपस्थिति रही।
सरकार और आयोग द्वारा किए गए सुरक्षा इंतजाम, जिसमें एआई आधारित अलर्ट सिस्टम, सीसीटीवी स्ट्रीमिंग, बायोमेट्रिक सत्यापन और एसटीएफ की कड़ी निगरानी शामिल थी, ने परीक्षा को पूरी तरह नकलमुक्त और पारदर्शी बना दिया। प्रदेश में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई।
एसटीएफ को संवेदनशील केंद्रों की विशेष निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था। कोचिंग सेंटरों की संदिग्ध गतिविधियों पर भी टीमें तैनात रहीं। सोशल मीडिया पर अफवाहों को रोकने के लिए विशेष मॉनिटरिंग सेल ने नजर रखी, जिससे नकल माफिया की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया गया।
परीक्षा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए प्रश्नपत्रों की तैयारी और वितरण में कड़े प्रबंध किए गए। प्रश्नपत्रों का चयन परीक्षा शुरू होने से 45 मिनट पहले किया गया। सभी प्रश्नपत्र आठ मल्टीपल जंबल्ड सीरीज में थे।
लाइव सीसीटीवी स्ट्रीमिंग के जरिए परीक्षा की निगरानी की गई। अभ्यर्थियों की पहचान और प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित बनाई गई।
प्रवेश द्वार पर बायोमेट्रिक सत्यापन और फेस रिकग्निशन तकनीक से पहचान सुनिश्चित की गई। प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर पुलिस बल तैनात रहा।
योगी सरकार और आयोग का संयुक्त प्रयास परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ। आयोग के सचिव अशोक कुमार ने सभी केंद्रों से उत्तर पुस्तिकाएं सुरक्षित रूप से एकत्र की। यह परीक्षा उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम रही।