क्या उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम को जयंती पर याद किया?

सारांश
Key Takeaways
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का योगदान भारतीय विज्ञान में अद्वितीय था।
- उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करना हमें उनके कार्यों को याद करने का अवसर देता है।
- युवा पीढ़ी को प्रेरित करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, १५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती के अवसर पर याद किया।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'भारत के मिसाइल मैन, भारत रत्न डॉ. एपीजे. अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। वे एक दूरदर्शी वैज्ञानिक, प्रेरक नेता और सच्चे देशभक्त थे। उनकी विनम्रता, करुणा और छात्रों के साथ निरंतर संवाद ने उन्हें पीढ़ियों तक एक प्रिय व्यक्ति बना दिया। अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से, उन्होंने युवा मन को बड़े सपने देखने और राष्ट्र के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। रक्षा, विज्ञान और युवा सशक्तीकरण में उनके अथक प्रयासों ने भारत के आत्मनिर्भरता के मार्ग को सुदृढ़ किया। डॉ. कलाम जी का दृष्टिकोण प्रत्येक भारतीय को नवाचार करने, सेवा करने और ईमानदारी से नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करता रहता है।'
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर राष्ट्रपति भवन में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर उन्होंने डॉ. कलाम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके देश के विकास में योगदान को याद किया।
राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट से साझा की गई जानकारी में कहा गया, "राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर राष्ट्रपति भवन में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।"
डॉ. अब्दुल कलाम, जिन्हें 'मिसाइल मैन ऑफ इंडिया' और 'पीपल्स प्रेसिडेंट' के नाम से जाना जाता है, का जन्म १५ अक्टूबर १९३१ को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में देश को वैज्ञानिक उपलब्धियों और नेतृत्व की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। रक्षा अनुसंधान और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनके योगदान के कारण भारत ने मिसाइल तकनीक और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई।