क्या राजद के शासनकाल में विकास के सारे काम ठप हो गए थे? उपेंद्र कुशवाहा का बयान
सारांश
Key Takeaways
- राजद के शासनकाल में बिहार में विकास ठप हो गया था।
- बिहार की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी।
- आम लोग भय के माहौल में जी रहे थे।
- उपेंद्र कुशवाहा ने जनता से सावधान रहने की अपील की।
- बिहार की प्रगति को बरकरार रखना जरूरी है।
कैमूर, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कट्टा सरकार' वाले बयान पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान को समर्थन देते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा है, वह पूरी तरह सत्य है।
कुशवाहा ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने सच्चाई को उजागर किया है। जब राजद की सरकार बिहार में थी, तब पूरा राज्य आपराधिक और आतंकवाद के साए में जी रहा था। उस समय कट्टे की भाषा बोलने वाले लोग सत्ता के करीब थे। शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी, स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी और विकास के सारे काम ठप पड़े थे।"
उन्होंने आगे कहा कि उस समय आम लोग भय के माहौल में जीते थे। गांव-गांव में भय का वातावरण था। शाम होते ही लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे। व्यापार ठप था, उद्योग नहीं थे और नौजवानों को रोजगार के लिए राज्य छोड़ना पड़ता था। बिहार का विकास पूरी तरह रुक गया था।
आरएलएसपी प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिस 'कट्टा सरकार' की बात की है, वह किसी कल्पना पर नहीं, बल्कि बिहार के जंगलराज के काले दौर की सच्चाई पर आधारित है। हम सबने उस समय को देखा है जब बिहार की साख देशभर में खराब हो गई थी। अपराधियों का दबदबा था और पुलिस-प्रशासन लाचार नजर आता था। उस दौर में न शिक्षा थी, न स्वास्थ्य, न रोजगार। सिर्फ भय और भ्रष्टाचार था।
उपेंद्र कुशवाहा ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अब बिहार को पीछे ले जाने वाली ताकतों से सावधान रहना होगा।
कुशवाहा ने यह भी कहा कि बिहार ने कठिन समय से निकलकर जो प्रगति की है, उसे बरकरार रखना जरूरी है। अगर हम लापरवाही करेंगे तो वही पुराना 'कट्टा राज' लौट आएगा।
बता दें कि बिहार में पहले चरण की वोटिंग गुरुवार को ही संपन्न हो गई है। अब दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को घोषित कर दिए जाएंगे।