क्या उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में जीवन कुमार मित्तल का पर्चा स्वीकार हुआ?

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क्या उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में जीवन कुमार मित्तल का पर्चा स्वीकार हुआ?

सारांश

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के नामांकन पत्रों की जांच में कई पर्चे खारिज किए गए हैं, लेकिन जीवन कुमार मित्तल का पर्चा स्वीकार कर लिया गया है। जानें किन कारणों से अन्य उम्मीदवारों के नामांकन अस्वीकार हुए और चुनाव प्रक्रिया में आगे क्या होगा।

Key Takeaways

  • जीवन कुमार मित्तल का नामांकन स्वीकार हुआ।
  • अन्य उम्मीदवारों के पर्चे दस्तावेजों की कमी के कारण खारिज हुए।
  • चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता का महत्व है।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जगदीप धनखड़ द्वारा उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद, इस पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया सक्रिय है। उपराष्ट्रपति पद हेतु प्रस्तुत नामांकन पत्रों की जांच में कई उम्मीदवारों के पर्चे खारिज कर दिए गए हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, कुल 7 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे, जिनमें से अधिकांश आवश्यक दस्तावेजों की कमी के कारण अस्वीकार कर दिए गए।

पहला नामांकन 7 अगस्त को डॉ. के. पद्मराजन (3/3.23ए पद्मा निवास, रामनगर, सलेम, तमिलनाडु) ने प्रस्तुत किया। इनके साथ निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति नहीं थी और जो प्रति दी गई, वह अधिसूचना जारी होने से पहले की थी। 15,000 रुपए की डिपोजिट राशि जमा की गई थी, लेकिन दस्तावेज की कमी के कारण पर्चा धारा 5बी(4) के तहत खारिज कर दिया गया।

दूसरा नामांकन जीवन कुमार मित्तल (एसएफ, 34बी, डी ब्लॉक, मोती नगर, दिल्ली) ने दाखिल किया। इनके साथ भी निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति पुराने दिनांक की थी। हालांकि, इन्होंने डिपोजिट राशि जमा की थी। इनकी नामांकन चुनाव आयोग ने खारिज कर दी।

तीसरा नामांकन नैडुगारी राजशेखर (श्रीमुखलिंगम गांव, आंध्र प्रदेश) का था। इनके दस्तावेजों में निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति ही नहीं थी और डिपोजिट मनी भी जमा नहीं हुआ था। यह नामांकन भी खारिज कर दिया गया।

11 अगस्त को चौथा और पांचवां नामांकन क्रमशः नैडुगारी राजशेखर और जीवन कुमार मित्तल ने फिर से दाखिल किए। राजशेखर के नामांकन में न तो निर्वाचन नामावली की प्रमाणित प्रति थी और न ही डिपोजिट राशि जमा थी, जिससे उनका पर्चा फिर खारिज हो गया। जीवन कुमार मित्तल का इस बार का नामांकन सही दस्तावेजों और डिपोजिट मनी के साथ जमा हुआ। उनका नामांकन इस बार स्वीकार हो गया है।

छठा नामांकन डॉ. मंदाती तिरुपति रेड्डी (बी-118, एलजीएफ, राइट साइड, अमृतपुरी बी, ईस्ट ऑफ कैलाश, नई दिल्ली) का था। इनके दस्तावेजों में निर्वाचन नामावली की प्रति पुराने दिनांक की थी। हालांकि, डिपोजिट राशि जमा थी। यह पर्चा भी धारा 5बी(4) के तहत खारिज हुआ।

सातवां नामांकन जलालुद्दीन (92, मंगालिया मोहल्लाग्राम, भागू का गांव, तहसील व जिला जैसलमेर, राजस्थान) का था। इनके पास भी निर्वाचन नामावली की प्रति पुराने दिनांक की थी, लेकिन डिपोजिट राशि जमा थी। यह नामांकन भी अस्वीकार हो गया।

अब तक केवल जीवन कुमार मित्तल का 11 अगस्त को दाखिल किया गया नामांकन ही वैध दस्तावेजों के साथ स्वीकार हुआ है, जबकि बाकी सभी उम्मीदवार दस्तावेजों की कमी या पुराने प्रमाण पत्रों के कारण बाहर हो गए हैं।

चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ने के साथ अब ध्यान इस बात पर है कि अंतिम उम्मीदवारों की सूची में कौन-कौन शामिल होगा।

Point of View

हमें यह देखना होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो। नामांकन पत्रों की जांच करना लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि अंतिम उम्मीदवारों की सूची में योग्य और समर्थ नेता शामिल हों।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन पत्र कैसे जमा किए जाते हैं?
उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन पत्र संबंधित उम्मीदवार द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर चुनाव आयोग के कार्यालय में जमा किए जाते हैं, जिसमें आवश्यक दस्तावेज और डिपोजिट राशि शामिल होती है।
क्यों कुछ नामांकन खारिज हो गए?
कई नामांकन पत्र आवश्यक दस्तावेजों की कमी या पुराने प्रमाण पत्रों के कारण खारिज कर दिए गए।
जीवन कुमार मित्तल का नामांकन क्यों स्वीकार हुआ?
जीवन कुमार मित्तल का नामांकन सही दस्तावेजों और डिपोजिट मनी के साथ जमा हुआ था, इसलिए उनका पर्चा स्वीकार किया गया।