क्या उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से विपक्ष को सबक लेना चाहिए? : मलूक नागर

सारांश
Key Takeaways
- सीपी राधाकृष्णन की जीत ने विपक्ष की एकजुटता की कमी को उजागर किया।
- क्रॉस वोटिंग ने चुनाव परिणामों को प्रभावित किया।
- कांग्रेस को अपने दलित और पिछड़े वोटरों की चिंता करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने जीत हासिल की है। उन्होंने इंडिया अलायंस के उम्मीदवार और पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया है। इस पर आरएलडी प्रवक्ता मलूक नागर ने सीपी राधाकृष्णन को जीत की बधाई दी है। उन्होंने क्रॉस वोटिंग पर भी सवाल उठाए।
आरएलडी प्रवक्ता मलूक नागर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सीपी राधाकृष्णन को एनडीए ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था। उनकी जीत हुई है। उन्हें 14 विपक्षी सांसदों का भी समर्थन मिला, जिन्होंने क्रॉस-वोटिंग की।"
उन्होंने कांग्रेस पर दलित और पिछड़े लोगों को अनदेखा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उनकी साथी पार्टियां दलित और पिछड़े लोगों की नकली बातें करती हैं। अगर वह दलितों का सम्मान करते, तो सीपी राधाकृष्णन को निर्विरोध जीतने में मदद करते।
नागर ने कहा कि इस वजह से जितने भी दलित और पिछड़े सांसदों ने क्रॉस वोटिंग करके एनडीए के उम्मीदवार को जीत दिलाई। अगर कांग्रेस सही से चुनाव पर ध्यान देती तो ऐसा नहीं होता। कांग्रेस और पीडीए की बात करने वालों को इस बात से सीख लेनी चाहिए। वहीं, भाजपा ने दावा किया कि 15 विपक्षी सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की और कुछ ने जानबूझकर अपने वोट अमान्य कर दिए, जबकि विपक्ष ने दावा किया था कि उनके 315 सांसद एकजुट हैं। लेकिन, नतीजों ने दावे की पोल खोल दी।
उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना उनके राजनीतिक जीवन में एक बड़ा मोड़ है। एक बार वे अपने नाम की वजह से केंद्रीय मंत्री नहीं बन पाए थे, लेकिन अब वे देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंच गए हैं।
नागर ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा, "यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि आने वाले समय में, दोनों देश टैरिफ मुद्दों या अन्य चुनौतियों को हल करने के लिए एक अनुकूल रास्ता खोज लेंगे।"
उन्होंने नेपाल हिंसा पर कहा कि वहां सुरक्षा व्यवस्था सेना ने संभाल ली है। पशुपतिनाथ मंदिर में तोड़फोड़ की कोशिश नाकाम हो गई है। अशांति को देखते हुए सेना को सड़कों पर तैनात किया गया है।