क्या राज्य भर में चल रहा वेरिफिकेशन ड्राइव बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान में तेजी ला रहा है?

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क्या राज्य भर में चल रहा वेरिफिकेशन ड्राइव बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान में तेजी ला रहा है?

सारांश

उत्तर प्रदेश में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान के लिए चल रहे वेरिफिकेशन ड्राइव ने एक नया मोड़ लिया है। यह अभियान न केवल घुसपैठियों के नेटवर्क को उजागर कर रहा है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं को भी व्यवस्थित कर रहा है। जानिए इस अभियान का महत्व और इसके पीछे की रणनीतियाँ।

Key Takeaways

  • राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • अवैध प्रवासियों की पहचान में तेजी आई है।
  • डिटेंशन सेंटरों का निर्माण किया जा रहा है।
  • कानूनी प्रक्रिया को व्यवस्थित किया जा रहा है।
  • सरकार की नीति कानून का शासन पर आधारित है।

लखनऊ, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ एक निर्णायक अभियान की शुरुआत की गई है। पश्चिम बंगाल में एसआईआर लागू होने के बाद, जिन अवैध प्रवासियों ने अन्य राज्यों में नए ठिकाने बनाने की कोशिश की, उन्हें रोकने और उनकी पहचान से लेकर कानूनी डिपोर्टेशन तक की प्रक्रिया को व्यवस्थित करने वाला एक संगठित मॉडल उत्तर प्रदेश तैयार कर रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और अवैध घुसपैठ को किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा। प्रदेश में चल रहा व्यापक वेरिफिकेशन ड्राइव घुसपैठियों के संगठित नेटवर्क को उजागर कर रहा है। कई जिलों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी संदिग्धों की पहचान की गई है। इसी बीच, यूपी एटीएस ने अभियान चलाकर कई रोहिंग्या घुसपैठियों को पकड़ा, जो इस नेटवर्क की गहराई को दर्शाता है।

सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य के प्रत्येक मंडल में डिटेंशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इन सेंटरों में पकड़े गए अवैध प्रवासियों को तब तक रखा जाएगा जब तक उनकी कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं होती। डिपोर्टेशन की प्रक्रिया एफआरआरओ के सहयोग से संचालित की जा रही है और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि संबंधित जानकारी को दैनिक रूप से गृह विभाग को भेजा जाए।

इससे पूरे अभियान पर निरंतर निगरानी बनी रहती है और प्रक्रिया तेज तथा पारदर्शी होती है। कई वर्षों से अवैध प्रवासियों की निगरानी, गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन की व्यवस्था अव्यवस्थित थी। अब यह मॉडल इन सभी चरणों को एक संगठित प्रणाली में बदल रहा है जो प्रदेश में लागू हो रहा है।

एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की इस पूरी नीति का आधार कानून का शासन है। विदेशी अधिनियम 1946 के अनुसार कार्रवाई की जा रही है और सबूत का दायित्व स्वयं व्यक्ति पर होता है कि वह विदेशी नहीं है। घुसपैठियों को न्यायिक प्रक्रिया का अवसर दिया जाता है ताकि अभियान सख्त होने के साथ-साथ कानूनी रूप से मजबूती भी बनाए रखे।

Point of View

यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और मानवाधिकारों का सम्मान करती है।
NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

उत्तर प्रदेश में वेरिफिकेशन ड्राइव का उद्देश्य क्या है?
यह अभियान अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान और उनकी कानूनी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए है।
क्या डिटेंशन सेंटरों में रहने वाले प्रवासियों को कानूनी सहायता मिलेगी?
हाँ, घुसपैठियों को न्यायिक प्रक्रिया का अवसर दिया जाएगा।
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