उत्तर प्रदेश: क्या सात आईपीएस अधिकारियों के तबादले से पुलिस प्रशासन में सुधार होगा?

सारांश
Key Takeaways
- सात आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- अपराध नियंत्रण में सुधार की उम्मीद है।
- प्रशासनिक फेरबदल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- पुलिस प्रशासन को संगठित करने का प्रयास।
लखनऊ, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस प्रशासन को और संगठित बनाने के लिए शनिवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव किया है। सरकार ने सात आईपीएस अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी किया है, जिसमें एक पुलिस उपायुक्त (डीसीपी), पांच अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) और एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) शामिल हैं।
इस तबादला आदेश के तहत ममता रानी चौधरी, जो पूर्व में अपर पुलिस उपायुक्त/पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) के पद पर तैनात थीं, उन्हें अब पुलिस उपायुक्त (महिला अपराध) की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह नियुक्ति महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने और इस क्षेत्र में प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
किरन यादव, जो अपर पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) के पद पर कार्यरत थीं, को अब अपर पुलिस उपायुक्त (अपराध) के रूप में कार्यभार दिया गया है। उनकी नई भूमिका में अपराध नियंत्रण और जांच प्रक्रिया को मजबूत करने की उम्मीद जताई जा रही है।
इसके अतिरिक्त, गोपी नाथ सोनी को अपर पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) बनाया गया है। पहले वह अपर पुलिस उपायुक्त (लखनऊ) के रूप में कार्यरत थे।
इसके अलावा, जितेंद्र कुमार दुबे, जो अपर पुलिस उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे, उन्हें उत्तरी जोन से मध्य जोन में स्थानांतरित किया गया है।
डॉ. अमोल मुरकूट, जो सहायक पुलिस आयुक्त/अपर पुलिस उपायुक्त (बीकेटी) थे, अब अपर पुलिस उपायुक्त (उत्तरी) का कार्यभार संभालेंगे। अमित कुमावत को अपर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) बनाया गया है, जो पहले अपर पुलिस उपायुक्त (अपराध) के पद पर थे।
ज्ञानेंद्र सिंह को सहायक पुलिस आयुक्त (बीकेटी) की जिम्मेदारी दी गई है। पहले वे सहायक पुलिस आयुक्त (यातायात) के रूप में कार्यरत थे।
यह प्रशासनिक फेरबदल काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन तबादलों से विभिन्न जोनों और विभागों में बेहतर समन्वय और अपराध नियंत्रण में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।