क्या उत्तराखंड में ग्रामीण आजीविका मिशन से चमोली की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं?

Click to start listening
क्या उत्तराखंड में ग्रामीण आजीविका मिशन से चमोली की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं?

सारांश

उत्तराखंड के चमोली में महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत, ये महिलाएं विभिन्न पहाड़ी उत्पादों का निर्माण कर आर्थिक सुदृढ़ता प्राप्त कर रही हैं। जानिए कैसे ये योजनाएं उनके जीवन में परिवर्तन ला रही हैं।

Key Takeaways

  • महिला सशक्तीकरण का एक अद्वितीय उदाहरण।
  • आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती महिलाएं।
  • स्थायी रोजगार का सृजन।
  • स्थानीय उत्पादों की मांग में वृद्धि।
  • सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन।

चमोली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली में महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाएं सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर रही हैं। नंदानगर ब्लॉक की महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत विभिन्न पहाड़ी उत्पादों का उत्पादन और विपणन कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं।

समूह की महिलाएं पहाड़ी दालें, अचार, जूस, धूप, फरन, जीरा, पहाड़ी नमक और ऊन से बने उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रही हैं। इन स्थानीय उत्पादों को आमजन बेहद पसंद कर रहे हैं और हाथों-हाथ खरीद रहे हैं। इससे महिलाओं के हाथों से बने उत्पादों और उनकी गुणवत्ता की व्यापक सराहना भी हो रही है।

महिलाओं का कहना है कि सरकार द्वारा संचालित ये योजनाएं उनके लिए वरदान साबित हुई हैं। स्वयं सहायता समूह में जुड़कर न केवल उन्हें स्थायी रोजगार मिला है, बल्कि घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूती भी मिली है।

लाभार्थियों के अनुसार, एनआरएलएम के माध्यम से उन्हें आउटलेट उपलब्ध करवाए गए हैं, जहां वे अपने उत्पादों का विपणन कर रही हैं। इस प्रक्रिया से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है, और कई मामलों में उनके पति भी कार्य में सहयोग कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के बीच बढ़ती मांग के कारण इन उत्पादों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है।

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी लक्ष्मी देवी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि समूह द्वारा तैयार किए गए पहाड़ी उत्पादों की पैकिंग कर उन्हें बाजार तक पहुंचाया जाता है। समूह से जुड़ने के बाद उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। पहले वे केवल घरेलू कार्य करती थीं और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब स्थिति बेहतर हो गई है।

एक अन्य लाभार्थी, ममता देवी ने बताया कि मिशन के तहत महिलाएं सामूहिक रूप से उत्पाद तैयार करती हैं और उन्हें बाजारों में बेचती हैं। इससे उन्हें निरंतर रोजगार मिल रहा है और वे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पा रही हैं।

भवान सिंह नेगी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के चलते क्षेत्र की महिलाएं स्व-रोजगार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। क्लस्टर आधारित मार्केटिंग से बेहतर दाम और अच्छा लाभ मिल रहा है।

Point of View

बल्कि यह सुनिश्चित किया है कि वे अपने परिवारों की भलाई में भी योगदान दे सकें। यह एक सकारात्मक कदम है जो न केवल क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करता है, बल्कि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भी एक मॉडल प्रस्तुत करता है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

उत्तराखंड में ग्रामीण आजीविका मिशन क्या है?
यह एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है।
महिला स्वयं सहायता समूह कैसे काम करते हैं?
ये समूह महिलाओं को संगठित करते हैं ताकि वे सामूहिक रूप से उत्पाद तैयार कर सकें और उनका विपणन कर सकें।
इन महिलाओं को किस प्रकार का लाभ मिल रहा है?
इन महिलाओं को स्थायी रोजगार, आर्थिक मजबूती और अपने उत्पादों का विपणन करने का अवसर मिल रहा है।
क्या इस योजना से परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है?
हाँ, इस योजना के माध्यम से महिलाओं ने अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।
क्या इस योजना का प्रभाव स्थानीय बाजार पर भी पड़ा है?
हाँ, स्थानीय उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई है और बाजार में उनकी मांग बढ़ी है।
Nation Press